नई दिल्ली। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में गुरुवार को ऐतिहासिक फैसला किया है। मोडिकल कॉलेजों के चिकित्सा शिक्षा पाठ्यक्रमों में पिछड़ी जातियों (OBC) को 27 प्रतिशत जबकि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग ( EWS) को 10 प्रतिशत आरक्षण दिया जाएगा। यह फैसला शैक्षिक सत्र 2021-22 से लागू होगा।

हर साल ऑल इंडिया कोटा स्कीम (AIQ) के तहत एमबीबीएस (MBBS), एमएस (MS), बीडीएस (BDS), एमडीएस (MDS), डेंटल, मेडिकल और डिप्लोमा में 5,550 अभ्यर्थियों को इसका फायदा मिलेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस संबंध में 26 जुलाई को बैठक की थी और वे पहले भी इन वर्गों को आरक्षण दिए जाने की बात कह चुके थे। 26 जुलाई को हुई बैठक के 3 दिन बाद सरकार ने यह फैसला ले लिया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बारे में सोशल मीडिया के जरिए जानकारी दी। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि देश में पिछड़े और कमजोर आय वर्ग के उत्थान के लिए उन्हें आरक्षण देने को सरकार प्रतिबद्ध है।

सरकार के इस फैसले के बाद एमबीबीएस में करीब 1,500 ओबीसी अभ्यर्थियों और पीजी में 2,500 ओबीसी अभ्यर्थियों को हर साल इस आरक्षण का लाभ मिलेगा। इसके अलावा एमबीबीएस में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के 550 और पोस्ट ग्रेजुएशन में करीब 1,000 अभ्यर्थी हर साल इस आरक्षण से लाभान्वित होंगे।

क्या है AIQ स्कीम?

ऑल इंडिया कोटा स्कीम (AIQ) 1986 में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के तहत शुरू की गई थी। इसका उद्देश्य दूसरे राज्य के छात्र-छात्राओं को अन्य राज्यों में भी आरक्षण का लाभ उठाने में सक्षम बनाना था। साल 2008 तक ऑल इंडिया कोटा स्कीम में कोई आरक्षण नहीं था लेकिन साल 2007 में सुप्रीम कोर्ट ने इस स्कीम में अनुसूचित जाति के लिए 15% और अनुसूचित जनजाति के लिए 7.5% आरक्षण की शुरुआत की थी।

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