बरेली। बरेली केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी स्मार्ट सिटी परियोजना में शामिल है। इस परियोजना से जुड़े यहां के अधिकारी नगर के विकास की तमाम योजनाएं बनाने और उन्हें कार्यान्वित करने के तमाम दावे समय-समय पर करते रहे हैं। लेकिन, उतरती जुलाई में हुई बरसात उनके दावों की चादर को बहा ले गई। जो बचा रह गया, वह है जानलेवा गड्ढों वाली बदहाल सड़कें, बस्तियों में भरा गंदा पानी, सिल्ट सफाई के दावों की पोल खोलते तमाम नाले-नालियां। पूरा शहर बदहाल है और अधिकारी दावों की फसल लहलहा रहे हैं।
चर्चित सामाजिक कार्यकर्ता व पत्रकार संगठन उपजा के प्रदेश उपाध्यक्ष निर्भय सक्सेना साफ तौर पर कहते हैं कि जमीनी हकीकत से अनजान अधिकारी अव्यावहारिक योजनाएं बना रहे हैं। ये योजनाएं समस्याएं कम करने के बजाय उन्हें बढ़ा रही हैं। स्मार्ट सिटी बरेली के नाम पर केवल अदूरदर्शिता वाला विनाश चल रहा है। कोई प्लानिंग नहीं है। किला, हार्टमैन और पुरान चौपला पुल बदहाल हैं। शहर में कचहरी, श्याम गंज और सिविल लाइन्स में कोई भी वाहन पार्किंग नहीं।
वह आगे कहते हैं, मिनी बाईपास को छोड़कर करीब-करीब सभी सड़कों पर जानलेवा गड्ढे हो चुके हैं। कोहाडापीर तिराहा के पास पीलीभीत रोड और किला-चौपला मार्ग ही नीति निर्माताओं की अदूरदर्शिता दिखाने के लिए काफी हैं। करीब 20 हजार की आबादी का बोझ ढोने वाली सीबी गंज स्थित खलीलपुर रोड की पिछले 7 साल से मरम्मत तक नहीं हुई है। कोहाड़ापीर के पास की सड़क का जिक्र होने पर सपा नेता व उपजा प्रेस क्लब के सचिव आशीष जौहरी कहते हैं, “न जाने कितने वर्षों से यह सड़क अपनी इस हालत पर शर्मिंदा है।” आपको याद दिला दें कि इस बदहाल सड़क के करीब ही भाजपा का कार्यालय है जिसके जिले में 2 सांसद और एक एमएलसी समेत 9 विधायक हैं।