नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाली धारा 370 लगभग सात दशक बाद निरस्त हो गई है। राज्यसभा ने सोमवार को इसके अधिकतर प्रवधानों को खत्म कर जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख को दो अलग-अलग केंद्र शासित क्षेत्र बनाने संबंधी सरकार के दो संकल्पों को मंजूरी दे दी थी। मंगलवार को लोकसभा में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इसे पेश किया। सदन में चर्चा के बाद जम्मू-कश्मीर राज्य पुनर्गठन विधेयक पारित हो गया। इसके पक्ष में 351 जबकि विपक्ष में 72 वोट पड़े। इसके बाद हुए पुनर्मतदान में इसके पक्ष में 366 जबकि विपक्ष में 66 वोट पड़े।
नरेंद्र मोदी सरकार के इस कदम का कई विपक्षी नेताओं ने पार्टी लाइन से हटकर समर्थन किया। इस कड़ी में राहुल गांधी के करीबी और कांग्रेस के बड़े नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम भी जुड़ गया है।
इससे पहले लोकसभा में इस बिल पर दिनभर चर्चा हुई। विपक्ष की ओर से कई सवाल उठाए गए जिनका एक-एक कर सिलसिलेवार केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जवाब दिया।
शाह ने लोकसभा में कहा कि धारा 370 कश्मीर को भारत से जोड़ती नहीं बल्कि जोड़ने से रोकती है। यहां उपस्थित एक-दो लोगों के अलावा किसी ने धारा 370 हटाने का विरोध नहीं किया। वे भी चाहते हैं कि 370 हट जाए लेकिन उनके सामने वोटबैंक का प्रश्न आ जाता है।
अमित शाह ने कहा, “देश का बच्चा-बच्चा बोलता है कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। हम ये क्यों नहीं बोलते कि यूपी देश का अभिन्न अंग है, तमिलनाडु देश का अभिन्न अंग है। ऐसा इसलिए है क्योंकि 370 ने इस देश और दुनिया के मन में एक शंका पैदा कर दी थी कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है या नहीं।”