लखनऊ। उत्तर प्रदेश में कक्षा 8 तक के विद्यालयों को भी विद्यार्थियों के लिए खोलने की तैयारी कर रही प्रदेश सरकार ने गुरुवार को विधान परिषद में स्पष्ट किया कि विद्यालयों में विद्यार्थियों की उपस्थिति अनिवार्य नहीं होगी। साथ ही स्पष्ट कर दिया कि जरा सा भी प्रतिकूल संकेत मिलने पर विद्यालयों को बंद भी किया जा सकता है।

प्रश्नकाल के दौरान शिक्षक दल के सदस्य ध्रुव कुमार त्रिपाठी द्वारा पूछे गए सवाल पर नेता सदन उपमुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा ने कहा बेसिक शिक्षा में उपस्थिति को अनिवार्य नहीं किया गया है। हमने कक्षा 9 से 12 तक की कक्षाओं के लिए भी उपस्थिति को अनिवार्य नहीं किया है। उन्होंने कहा अभिभावकों और शिक्षकों तथा राजनीतिक संगठनों द्वारा भी कहा गया है कि चाहे कम समय के लिए ही सही लेकिन ऑफलाइन शिक्षण कार्य कराया जाए। प्रदेश में हम सुरक्षा की तरफ बढ़ चुके हैं लेकिन अगर चिंता के संकेत मिले तो हम विद्यालयों को बंद भी कर सकते हैं।

दरअसल ध्रुव कुमार त्रिपाठी ने स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह से सवाल पूछा था कि क्या अभी तक टीका नहीं लगवाने वाले शिक्षकों और 18 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए टीकाकरण की कोई व्यवस्था की गई है या नहीं। सपा सदस्य रुद्र प्रकाश ने भी अनुपूरक सवाल के जरिए इस पर चिंता जताते हुए कहा कि टीकाकरण कराए बगैर छोटे बच्चों को विद्यालय भेजना क्या खतरनाक नहीं है? नरेश उत्तम पटेल ने स्वास्थ्य मंत्री से कहा कि विद्यालय खुल गए हैं, ऐसे में कोविड-19 संक्रमण बच्चों में फैलने को लेकर जो चिंता है उसे कैसे दूर किया जाएगा। इस पर स्वस्थ्य मंत्री ने कहा कि 18 साल से कम आयु के लोगों के लिए अभी टीका बना ही नहीं है और आशा है कि सितंबर में यह टीका आ जाएगा। 

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