मेरठ। उत्तर प्रदेश में मानकों के विपरीत चल रहे पांच हजार मदरसों को बंद कर दिया गया है। उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य सुरेश जैन ऋतुराज ने शनिवार को यहां पत्रकार सम्मेलन में यह जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि मान्यता प्राप्त मदरसों का पूरा लेखा-जोखा पोर्टल में अपलोड करने के बाद ये मदरसे मानकों के विपरीत चलते पाए गए। इसकी वजह से इन्हें तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया गया। इन मदरसों को बंद कर देने से हर साल 100 करोड़ रुपये की बचत होगी

ऋतुराज ने बताया कि मदरसा शिक्षा बोर्ड के नए पोर्टल का गठन किया गया है। इस पोर्टल में समस्त मदरसों को विवरण अपलोड करना अनिवार्य है। मदरसों का सिलेबस यानी पाठ्यक्रम भी संशोधित किया गया है। बोर्ड ने पाया कि कई स्थानों पर फर्जीवाड़े और धोखाधड़ी की गई है। इस संबंध में मेरठ में 10 लोगों पर कानूनी कार्रवाई भी की गई है।

उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यकों का ध्यान रखते हुए सरकार अनेक कल्याणकारी कार्यक्रम चला रही है। मदरसों के अलावा जैन और सिख समुदाय तथा अनेक अन्य वर्ग के धार्मिक शिक्षण संस्थाओं को भी लाभ देने की कोशिश की जा रही है। जैन समाज के कई गुरुकुल स्थापित हैं, इसलिए उन्हें भी यह सुविधा मिलनी चाहिए।

उन्होंने बताया कि पुत्री विवाह में पिछले वर्ष 2020-21 के 7266 लाभार्थियों का अनुदान दिया गया। वहीं तीन तलाक से पीड़ित महिलाओं को 500 रुपये प्रति माह पेंशन का प्रस्ताव प्रक्रिया में चल रहा है। सुरेश जैन ऋतुराज ने इससे पहले अल्पसंख्यक कल्याणकारी योजनाओं की समीक्षा की।

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