नई दिल्‍ली। पलक झपकते ही बैंक खातों से रुपये गायब कर देने वाले 14 साइबर शातिरों को दिल्ली पुलिस ने झारखंड के जामताड़ा से गिरफ्तार किया है। ऑनलाइन ठगी के इस बड़े गिरोह के जो लोग मंगलवार को दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने पकड़े हैं, उनमें मुख्य आरोपी गुलाम अंसारी और अल्ताफ भी शामिल हैं। उनके पास से दो करोड़ रुपये की संपत्ति और 20 लाख रुपये की एसयूवी जब्त की गई है। गिरफ्तार किए गये ये जालसाज नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल पर दर्ज 9 राज्यों के 36 मामलों से जुड़े हैं। उन्होंने इन 36 मामलों में करीब 1.2 करोड़ रुपये की ठगी की। शुरुआती पूछताछ में ही उन्होंने रोजाना 4-5 लोगों को ठगने की बात स्वीकार की है।

गैंग के मास्‍टरमाइंड रॉकस्टारऔर मास्टर जी

दिल्ली पुलिस साइबर सेल के डीसीपी अन्येश रॉय ने कहा कि साइबर प्रहार पार्ट-2 में हमने साइबर क्राइम के हॉटस्पॉट जामताड़ा बेल्ट को निशाना बनाया है। इसमें जामताड़ा, देवघर, गिरिडीह, जमुई है। हमने बड़े पैमाने पर एक्शन लिया है। वहां से 14 लोगों को गिरफ्तार किया है जो फ्रॉड का बहुत बड़ा गैंग चला रहे थे। उन्होंने बैंक अधिकारियों तक को निशाना बनाया और कभी-कभी ई-शॉपिंग कंपनियों से ऑफर देने का दिखावा किया। इस रैकेट के मास्टरमाइंड हैं- अल्ताफ अंसारी उर्फ “रॉकस्टार” और गुलाम अंसारी उर्फ “मास्टर जी”। अल्ताफ के पास बहुत सारे कॉलर हैं। वह किसी भी संभावित पुलिस गतिविधि पर नजर रखता था।

यूपीआइ पेमेंट के नाम पर करते हैं फ्राड

डीसीपी अन्येश रॉय ने कहा कि ये लोग यूपीआई पेमेंट से संबंधित फ्रॉड करते हैं, जिसमें तकनीक के इस्तेमाल से लोगों पर दबाव बनाते हैं कि वे यूपीआई पेमेंट कर दें। इसके लिए वे केवाईसी अपडेशन के नाम पर, सिम या बैंक अकाउंट ब्लॉक कराने के नाम पर फ्रॉड करते हैं। उन्होंने इसमें तकनीक का इस्तेमाल बढ़ा दिया है।

गुलाम अंसारी नकली वेबसाइट बनाने और उन्हें गूगल विज्ञापनों के माध्यम से ऑनलाइन धकेलने में माहिर हैं। अल्ताफ एड कैंपेन चलाने के लिए रोजाना 40 हजार से 50 हजार रुपये देता था। एक और प्रवृत्ति जो हमने नोटिस की है, वह यह है कि उन्होंने छोटे मॉड्यूल में अपने कार्यों का विकेंद्रीकरण और विस्तार किया है।

डीसीपी अन्येश रॉय ने कहा कि ये शातिर अस्थायी साइट्स और बैंकों के एप्स तक बना ले रहे हैं। 9 राज्यों के 36 मामलों में इन्होंने 1.2 करोड़ रुपये ठगी की है। ये लोग हर दिन 40-50 लोगों को कॉल करते थे। इसमें 4-5 लोगों को शिकार बनाते थे और हर दिन करीब 1-1.5 लाख रुपये चीट करते थे।

इस गैंग में शामिल कई युवक तमाम एप्स के माध्यम से लोगों को ठगी का शिकार बनाते हैं। ये लोग ई-वॉलेट कस्टमर्स को कैशबैक का रिक्वेस्ट भेजते थे। इसके बाद गेमिंग एप के माध्यम से ठगी को अंजाम दिया करते थे। इसके अलावा शॉपटॉपवन नाम की ऑनलाइन शॉपिंग साइट का भी इस्तेमाल करते थे।

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