लखनऊ। इस्लाम के बड़े जानकार माने जाने वाले मौलाना कलीम सिद्दीकी की गिरफ्तारी यूं ही नहीं हुई है। यूपी एटीएस बीते जून से उन पर निगाह रखे हुए थी और पुख्ता सबूत मिलते ही उन्हें मेरठ से उठा लिया। दरअसल 20 जून 2021 को अवैध धर्मांतरण मामले में उमर गौतम, मुफ्ती काजी व उनके साथियों की गिरफ्तारियों के दौरान ही एटीएस को उमर गौतम और मौलाना कलीम सिद्दीकी के बीच लिंक की जानकारी मिली थी। इसके बाद सुराग मिला कि विदेश से मौलाना कलीम के खाते में करोड़ों रुपये आये हैं।
मुजफ्फरनगर के फूलत गांव के रहने वाले मौलाना कलीम सिद्दीकी ग्लोबल पीस सेंटर और जमीयत-ए-वलीउल्लाह के अध्यक्ष हैं। वह फूलत में स्थित मदरसा जामिया इमाम वलीउल्लाह इस्लामिया के निदेशक भी हैं।
यूपी एटीएस ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि मौलाना कलीम सिद्दीकी पर हवाला के जरिए अवैध धर्मांतरण के लिए फंड जुटाने का आरोप है। वह यूट्यूब के जरिए भी धर्मांतरण करने और धर्मांतरण के रैकेट में शामिल होने के लिए प्रेरित कर रहे थे। मौलाना पर आरोप है कि वह लालच देकर लोगों को धर्मांतरण के लिए उकसाते थे। वह अपना ट्रस्ट चलाने के साथ तमाम मदरसों को भी फंडिंग करते रहे हैं। उनको विदेश से भारी धनराशि हवाला और अवैध तरीके से भेजी जाती थी। एटीएस के मुताबिक, मौलाना कलीम के खाते में 1.5 करोड़ रुपये बहरीन से आए थे। हालांकि उनके बैंख अकाउंट में कुल 3 करोड़ रुपये आए थे।
धर्मांतरण मामले में अब तक 11 लोग गिरफ्तार
उत्तर प्रदेश के एडीजी प्रशांत कुमार ने बताया कि 20 जून को अवैध धर्मांतरण गिरोह संचालित करने वाले लोग गिरफ्तार किए गए थे। उमर गौतम और इसके साथियों को ब्रिटिश आधारित संस्था से लगभग 57 करोड़ रुपये की फंडिंग की गई थी। इसके खर्च का ब्योरा वे नहीं दे पाए। इस संबंध में मौलाना कलीम के अलावा कुल 10 लोग गिरफ्तार हुए थे जिनमें से 6 के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है और 4 के खिलाफ जांच चल रही है।