प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को दीपावली यानि दीपों का प्रकाश पर्व मनाया जाता है। इस साल गुरुवार, 4 नवंबर 2021 को यह त्योहार मनाया जाएगा। माता महालक्ष्मी और गणेश जी का पूजन करने का विधान शास्त्र वर्णित है। इस वर्ष 437 वर्ष बाद एक ही राशि में चार ग्रहों के होने से दीपावली पर अद्भुत दुर्लभ संयोग भी बन रहा है।
प्रकाश पर्व पर बन रहा इस साल अद्भुत दुर्लभ संयोग
इस बार दीपावली पर तुला राशि के साथ सूर्य, बुध, मंगल और चंद्रमा की युति का योग बन रहा है। इस वजह से यह दीपावली लोगों के लिए अत्यंत शुभ रहेगी। मां लक्ष्मी और गणेश जी का आशीर्वाद प्राप्त होगा और जातकों को लाभ ही लाभ होगा।
इसलिए बन रहा शुभ योग
तुला राशि के स्वामी शुक्र हैं। लक्ष्मी जी की पूजा से शुक्र ग्रह की शुभता में वृद्धि होती है। ज्योतिष शास्त्र में शुक्र को भौतिक सुख, एशो-आराम के जीवन, सुख-सुविधाओं आदि का कारक माना गया है। वहीं सूर्य को ग्रहों का राजा, मंगल को ग्रहों का सेनापति और बुध को ग्रहों का राजकुमार कहा गया है। इसके साथ ही चंद्रमा को मन का कारक माना गया है। वहीं सूर्य पिता तो चंद्रमा को माता कारक माना गया है।
शुभ मुहूर्त
अमावस्या तिथि प्रारम्भ: 04 नवंबर 2021 को प्रात: 06:03 बजे से।
अमावस्या तिथि समाप्त: 05 नवंबर 2021 को प्रात: 02:44 बजे तक।
माता महालक्ष्मी पूजा शुभ मुहूर्त: सायंकाल 6:09 बजे से रात्रि 8:20 बजे तक।
अवधि: 1 घंटा 55 मिनट सभी जातकों के लिए श्रेष्ठ पूजन काल रहेगा।
अन्य विशेष मुहूर्त: प्रातः काल 6:15 से 8:53 तक सुबह बेला रहेगी, तत्पश्चात 10:59 से दोपहर 1:30 बजे तक चंचल एवं अभिजीत बेला साथ ही लाभ बेला रहने वाली है. जो कि व्यापारी वर्ग के लिए श्रेष्ठतम बन रही है।
गोधूलि बेला में सिर्फ श्री पूजन सायं 4:28 से 5:50 तक उत्तम रहेगा। यह बेला भी व्यवसाई वर्ग के लिए श्रेष्ठ रहेगी।
अर्ध रात्रि स्थिर सिंह लग्न बेला रात्रि 12:57 से 3:13 बजे तक रहने वाली है। इस अवधि में कनकधारा स्त्रोत का पठन-पाठ विशेषकर श्री कारक सिद्ध होता है।
राजेश कुमार शर्मा ज्योतिषाचार्य
(श्री अवध विमल ज्योतिष संस्थान, बरेली)