लखनऊ : चित्रकूट की महिला के साथ सामूहिक दुष्कर्म के मामले में एमपी-एमएलए कोर्ट ने उत्तर प्रदेश की अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली सपा सरकार में खनन मंत्री रहे गायत्री प्रसाद प्रजापति को सामूहिक दुष्कर्म और पाक्सो एक्ट में दोषी करार दिया है। सजा 12 नवंबर को सुनाई जाएगी। इस मामले में आशीष शुक्ल और अशोक तिवारी भी दोषी पाए गए हैं जबकि चंद्रपाल, विकास वर्मा, रूपेश्वर और अमरेन्द्र सिंह पिंटू को अदालत ने निर्दोष करार दिया है।
पीड़िता ने आरोप लगाया था कि वर्ष 2014 में गायत्री प्रसाद प्रजापति के आवास पर उसके साथ गैंगरेप हुआ था। गायत्री प्रसाद प्रजापति इस मामले में 15 मार्च 2017 से जेल में बंद हैं।
मंगलवार को मामले में कुछ आरोपियों की ओर से लिखित बहस दाखिल की जानी थी। इसी बीच गायत्री प्रसाद प्रजापति की ओर अर्जी देकर मुकदमे की तारीख बढ़ाए जाने की मांग की गई। इसमें कहा गया कि मुकदमे को किसी दूसरे राज्य में स्थानांतरित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की गई है। इसके अतिरिक्त इस न्यायालय के उस आदेश को हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में चुनौती दी गई है जिसमें बचाव साक्ष्य पेश करने की अर्जी को खारिज कर दिया गया था।
वहीं, 8 नवंबर को अभियोजन की ओर से सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता एसएन राय ने प्रार्थना पत्र देकर न्यायालय से अनुरोध किया था कि गवाह अंशु गौड़ ने अपने बयान में कहा है कि पीड़िता को कई प्लाटों की रजिस्ट्री और नकद धनराशि का प्रलोभन देकर न्यायालय के समक्ष सही गवाही न देने के लिए राजी किया गया है। लिहाजा अदालत रजिस्ट्री को साबित करने के लिए रजिस्ट्रार लखनऊ और पीड़िता द्वारा दिल्ली के कोर्ट को दिए गए कलमबंद बयान को तलब करने का आदेश दे क्योंकि यह एक महत्वपूर्ण साक्ष्य हैं।
गौरतलब है कि 18 फरवरी 2017 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गायत्री प्रसाद प्रजापति, विकास वर्मा, अमरेंद्र सिंह, चंद्रपाल, रूपेश्वर और अशोक तिवारी के खिलाफ लखनऊ के गौतमपल्ली में सामूहिक दुष्कर्म, जानमाल की धमकी और पॉक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था।