बरेलीः एसआरएमएस इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में विश्व मधुमेह दिवस (World Diabetes Day) की पूर्व संध्या पर सीएमई (Continuing Medical Education) का आयोजन किया गया। ऑनलाइन और ऑफलाइन आयोजित इस हाइब्रिड सीएमई का उद्घाटन एसआरएमएस ट्रस्ट के चेयरमैन देवमूर्ति ने किया। उन्होंने डायबिटीज को दीमक की तरह बताते हुए कहा कि यह दीमक की तरह शरीर को खोखला कर देती है। लाइफस्टाइल और खानपान की आदतों को नियंत्रित कर इसे कंट्रोल करना ही सबसे बड़ा और आसान उपाय है। लेकिन यह दृढ इच्छाशक्ति के बिना संभव नहीं।
अपने अनुभव को साझा करते हुए देवमूर्ति ने बताया कि 1995 में उनको डायबिटीज होने की जानकारी हुई थी। 26 वर्ष हो गए इसके साथ लेकिन कोई तकलीफ नहीं। अनुशासित जीवन को अपनाकर उन्होंने इसे नियंत्रित कर रखा है। सिर्फ लाइफस्टाइल बदलिये, जंकफूड को बंद कीजिए,रात में सात घंटे की नींद लीजिए तो डायबिटीज नियंत्रित रहेगी। देवमूर्ति ने कहा कि यूं तो कोई भी रोग ठीक नहीं लेकिन एकमात्र डायबिटीज ऐसी बीमारी है जो व्यक्ति को अनुशासन में रहने को प्रेरित करती है। ऐसे में इसे अच्छी बीमारी कहना कोई गलत बात नहीं।
एसआरएमएस मेडिकल कॉलेज के डायरेक्टर आदित्य मूर्ति ने कहा कि यह बीमारी तेजी से बढ़ रही है। आज हर छठा व्यक्ति डायबिटीज पीड़ित है। लगातार जांच कर मरीजों को इसके प्रति जागरूक किया जा सकता है और इसे अनियंत्रित होने से रोका जा सकता है।
दो सत्रों में आयोजित सीएमई से पहले मेडिकल विभाग की ओपीडी में डायबिटीज मरीजों की स्क्रीनिंग के साथ उन्हें डायबिटीज के संबंध में जानकारी भी दी गई। फ्री स्क्रीनिंग में 400 लोगों की ब्लड शुगर, सवा सौ एचबी.ए.वन.सी., सौ न्यूरोपैथी टेस्ट किए गए। पहले सत्र डा.दीपक दास ने डायबिटीज मैनेजमेंट की जानकारी दी। उन्होंने दवाई, एक्सरसाइज के साथ ही न्यूट्रीशनल थेरेपी की जरूरत पर जोर दिया। डायबिटीज के क्लीनिकल पैरामीटर्स के उन्होंने सेल्फ मानीटरिंग पर ध्यान देना जरूरी बताया। खानपान के नियंत्रित और नियमित करने के साथ लाइफ स्टाइल में बदलाव और फिजिकल एक्टिविटी बढ़ाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि सभी को कार्बोहाइड्रेट और शुगर की मात्रा को भोजन में कम कर रिच प्रोटीन खाद्य पदार्थों को बढ़ाना चाहिए। प्रोटीन और विटामिन डी की कमी से डायबिटीज की आशंका बढ़ती है।
डॉ दीपक ने कलरफुल डाइट से कलरफुल लाइफ बनाने की बात कही। एसोसिएट प्रोफेसर (डॉ) एमपी रावल ने डायबिटीज में इंसुलिन के रोल की जानकारी दी। एंडोक्राइनोलाजिस्ट एसोसिएट प्रोफेसर (डॉ) श्रुति शर्मा ने गर्भावस्था में होने वाली डायबिटीज की जानकारी देने के साथ इससे बचने के उपाय बताए। नेत्र रोग विभाग की एचओडी प्रोफेसर (डॉ) नीलिमा मेहरोत्रा ने आंखों पर डायबिटीज के दुष्प्रभाव की जानकारी दी और बताया कि क्यों डायबिटीज को आंखों के लिए साइलेंट किलर माना जाता है और कैसे विशेषक्ष नेत्र रोग विशेषज्ञ से सलाह लेकर डायबिटीज के दौरान आंखों की देखभाल की जा सकती है और कैसे आंखों की रोशनी को सही रखा जा सकता है।
जनरल सर्जरी विभाग के एचओडी प्रोफेसर (डॉ) एसके सागर ने पैरों पर पड़ने वाले डायबिटीज के दुष्परिणाम की जानकारी दी और इससे बचने के उपाय बताए। जनरल मेडिसिन विभाग की एचओडी (डॉ) स्मिता गुप्ता ने आईसीयू में भर्ती डायबिटीज के गंभीर मरीजों की देखभाल की जानकारी दी। कार्यक्रम में उपस्थित लोगों का स्वागत डॉ स्मिता गुप्ता ने किया जबकि धन्यवाद डॉ भारती साहनी ने दिया। सीएमई का संचालन डॉ आयुषि त्यागी ने किया। इस मौके पर मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ आरपी सिंह, वाइस प्रिंसिपल डॉ एनके अरोरा, डॉ शरद जौहरी, डॉ पीएल प्रसाद, डॉ दीप पंत, डॉ शशि बाला, डॉ पियूष कुमार, डॉ राहुल गोयल, डॉ प्रतीक गहलोत, डॉ तनु अग्रवाल, डॉ नीरज प्रजापति, डॉ एसके कौशिक, डॉ अतुल सिंह और रुहेलखंड मेडिकल कॉलेज की डॉ सीमा सेठ विशेष रूप से मौजूद रहीं।