Chardham Project

नयी दिल्ली: सुरक्षा संबंधी खतरों को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को चारधाम सड़क चौड़ीकरण परियोजना (दो लेन की सड़क) को मंजूरी दे दी। न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने पूर्व न्यायाधीश एके सीकरी की अगुवाई में एक निगरानी समिति का भी गठन किया जो समय-समय पर इस प्रोजेक्ट की जानकारी सुप्रीम कोर्ट को देती रहेगी। इस निगरानी समिति को रक्षा मंत्रालय, सड़क परिवहन मंत्रालय, उत्तराखंड सरकार और सभी जिला न्यायाधीशों से सहयोग मिलेगा।

शीर्ष अदालत सरकार के इस तर्क से सहमत हुई कि इस इलाके में सड़कें सामरिक महत्व रखती हैं। अदालत ने कहा कि सीमा सुरक्षा चिंताओं पर ध्यान देने जरूरत है। हाल के दिनों में राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौतियां देखी गई हैं। ऐसे में सैनिकों और हथियारों की आवाजाही आसान होनी चाहिए।

इससे पहले 11 नवंबर को चारधाम परियोजना में सड़क की चौड़ाई बढ़ाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। शीर्ष अदालत ने केंद्र और याचिकाकर्ता दोनों की दलीलें विस्तार से सुनी थी और दोनों पक्षों से लिखित में सुझाव भी देने को कहा था।

12,000 करोड़ रुपये की लागत वाली रणनीतिक 900 किलोमीटर लंबी चारधाम परियोजना का उद्देश्य उत्तराखंड के चार पवित्र शहरों – यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ तक हर मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान करना है।

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से सितंबर 2020 के उस आदेश में संशोधन की मांग की थी जिसमें चारधाम सड़कों की चौड़ाई को 5.5 मीटर तक सीमित करने के लिए कहा गया था। केंद्र ने तर्क दिया था कि यह भारत-चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा की ओर जाने वाली सड़के हैं और इनके रणनीतिक महत्व को देखते हुए उन्हें 10 मीटर तक चौड़ा करने की अनुमति दी जानी चाहिए। दूसरी याचिकाकर्ता की ओर से  कहा गया कि हिमालय के पर्यावरण की स्थिति खतरे में है। अभी तक आधी परियोजना पूरी हुई है और हादसा दुनिया ने देखा है। याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट से कहा कि चारधाम क्षेत्र में भी विकास के नाम पर अंधाधुंध निर्माण जारी है, फौरन इनको रोकने की जरूरत है।

क्या है चारधाम प्रोजेक्ट

चारधाम प्रोजेक्ट का उद्देश्य सभी मौसम में पहाड़ी राज्य के चार पवित्र स्थलों यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ को जोड़ना है। इस प्रोजेक्ट के पूरा हो जाने के बाद हर मौसम में चारधाम की यात्रा की जा सकेगी। इस प्रोजेक्ट के तहत 900 किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण हो रहा है। अभी तक 400 किमी सड़क का चौड़ीकरण किया जा चुका है।

एक अनुमान के मुताबिक, अभी तक 25 हजार पेड़ों की कटाई हो चुकी है जिससे पर्यावरणविद नाराज हैं। सिटीजेन फॉर ग्रीन दून नाम के एलजीओ ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के 26 सितंबर 2018 के आदेश के बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। एनजीओ का दावा था कि इस परियोजना से पहाड़ी क्षेत्र में होने वाले नुकसान की भरपाई नहीं की जा सकेगी। ​​​​​

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