थिंपू। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दो दिन की भूटान यात्रा पर शनिवार को यहां पहुंचने पर बेहद गर्मजोशी से स्‍वागत किया गया। इस मौके पर नरेंद्र मोदी ने भूटान में भी RuPay कार्ड की शुरुआत की। नोटबंदी के समय ऑनलाइन रुपये ट्रांसफर करने के उद्देश्‍य से भारत ने अपना ये सिस्‍टम लॉन्‍च किया था। सिंगापुर के बाद अब इसकी शुरुआत भूटान में भी की गई है। 2014 में पहली बार सत्‍ता में आने पर भी प्रधानमंत्री मोदी ने भूटान की यात्रा की थी।

इससे पहले मोदी और भूटान के प्रधानमंत्री डॉ. लोते शेरिंग ने Plaque of the Ground Station for South Asian Satellite प्रोजेक्‍ट का उद्घाटन किया।  दोनों नेताओं ने मिलकर भारत भूटान हाइड्रोपावर कॉऑपरेशन के पांच दशक पूरे होने के मौके पर एक स्‍टाम्‍प भी जारी किया।

इस मौके पर लोगों को संबोध‍ध्त करते हुए नरेंद्र मोदी ने कहा, “मेरे पिछले कार्यकाल के दौरान प्रधानमंत्री के रूप में मेरी पहली यात्रा के लिए भूटान का चुनाव स्वाभाविक था। 130 करोड़ भारतीयों के दिलों में भूटान एक विशेष स्थान रखता है।  इस बार भी, अपने दूसरे कार्यकाल के शुरू में ही भूटान आकर मैं बहुत खुश हूं।”

मोदी ने कहा, “भारत और भूटान के संबंध दोनों देशों के लोगों की प्रगति, सम्पन्नता और सुरक्षा के साझा हितों पर आधारित है।  भूटान की पंचवर्षीय योजनाओं में भारत का सहयोग आपकी इच्छाओं और प्राथमिकताओं के आधार पर आगे भी जारी रहेगा।” उन्होंने कहा, “मुझे बहुत खुशी है कि आज हमने भूटान में RuPay कार्ड को लॉन्च किया है। इससे डिजिटल भुगतान और व्यापार तथा पर्यटन में हमारे संबंध और बढेंगे। भूटान नरेशों की बुद्धिमत्ता और दूरदर्शिता ने लंबे समय तक हमारे द्विपक्षीय संबंधों का मार्गदर्शन किया है। उनके विजन ने भूटान को दुनिया के सामने एक ऐसे उदाहरण की तरह प्रस्तुत किया है जहां विकास को आंकड़ों से नहीं खुशियों से नापा जाता है।”

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “भूटान जैसा पड़ोसी देश कौन नहीं चाहेगा। हम इस देश की विकास यात्रा में शामिल होकर गौरव महसूस कर रहे हैं। हाइड्रोपावर दोनों देशों के बीच सहयोग का महत्वपूर्ण क्षेत्र है। दोनों देशों ने भूटान की नदियों की शक्ति को बिजली में ही नहीं, पारस्परिक समृद्धि में भी बदला है। दोनों देशों के सहयोग से भूटान में हाइड्रो पावर उत्पादन क्षमता 200 मेगावाट को पार कर आगे बढ़ रही है।”

भूटान के सामान्य लोगों की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत से एलपीजी की आपूर्ति को 700 से बढ़ाकर 1000 मिट्रिक टन प्रतिमाह करने का फैसला किया है। इससे स्वच्छ ऊर्जा को गांवों तक पहुंचाने में मदद मिलेगी।

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