नई दिल्ली। देश की ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री इस समय पिछले दो दशकों की सबसे बड़ी मंदी से जूझ रही है। इससे पहले सन् 2000 में ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री ने इससे भी बड़ी मंदी का सामना किया था। ऑटो सेक्टर में आयी इस मंदी ने देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजकी को भी हिला कर रख दिया है। कंपनी के तीन हजार से अधिक अस्थायी कर्मचारियों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा है।

मारुति सुजुकी इंडिया के प्रेसिडेंट आरसी भार्गव ने शनिवार को कहा कि अस्थायी कर्मचारियों के कॉन्ट्रेक्ट को मंदी की वजह से रिन्यू नहीं किया गया। फिलहाल स्थायी कर्मचारियों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। कुछ निजी टीवी चैनलों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि यह बिजनेस का पार्ट है। जब मांग बढ़ती है तो कॉन्ट्रेक्ट वाले कर्मचारियों को रखा जाता है और जब डिमांड घटती है तो कॉन्ट्रैक्ट वाले कर्मचारियों को कम किया जाता है।

भार्गव इस सवाल का जवाब दे रहे थे कि क्या मौजूदा मंदी और उत्पादन में कटौती के कारण मारुति में नौकरी में कटौती हुई है। उन्होंने कहा कि मारुति सुजुकी के लगभग तीन हजार अस्थायी कर्मचारियों की नौकरी गई है। उन्होंने कहा कि ऑटोमोबाइल सेक्टर अर्थव्यवस्था में बहुत सी नौकरी उत्पन्न करता है। सेल्स, सर्विस, इंश्योरेंस, लाइसेंस, फाइनेंसिंग, एक्सेसरीज, ड्राइवर्स, पेट्रोल पंप, ट्रांसपोर्टेशन आदि में कम ऑटोमोबाइल बिक्री की वजह से बड़े पैमाने पर नौकरियां प्रभावित होंगी। उन्होंने कहा कि इसकी कल्पना भी नहीं की जाती है, इससे ज्यादा इसका प्रभाव होगा। जब उनसे पूछा गया कि क्या इंडस्ट्री ने जुलाई में बिक्री के मामले में कुछ बढ़त हासिल की है, उन्होंने कहा कि इस वित्त वर्ष की तीसरी या चौथी तिमाही से ऑटो इंडस्ट्री में कुछ पॉजिटिव ग्रोथ नजर आ सकती है। उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2021 में कुछ बदलाव देखने को मिलेंगे। आने वाले फेस्टिवल सीजन से उम्मीदों पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि अच्छे मानसून की वजह से ग्रामीण बिक्री में बढ़त आ सकती है।

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