नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर से धारा 370 के विवादित प्रवधान और अनुच्छेद 35ए हटाए आधा महीना होने को है। पाकिस्तान ने कश्मीर मुद्दे पर भारत के खिलाफ बयानबाजी तेज कर दी है। इसे लेकर पाकिस्तान ने जहां-जहां हो सकता है भारत की शिकायत की पर चीन को छोड़ हर जगह नाकामी मिली। चीन की मदद से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक तो बुलवा ली पर बंद कमरे में हुई इस बैठक का नतीजा भी सिफर ही रहा। इस नाकामी के बाद पाकिस्तान ने अब नये सिरे से जम्मू-कश्मीर मामले का अंतरराष्ट्रीयकरण करने की कोशिश तेज कर दी है। अपनीन इसी कोशिश को आगे बढ़ाते हुए वह अंतरराष्ट्रीय मीडिया के सामने “विक्टिम कार्ड” खेलने की कोशिश कर रहा है।

अपलोड किए फर्जी वीडियो और तस्वीरें

पाकिस्तान अब जम्मू-कश्मीर से जुड़ी फेक तस्वीरें  और वीडियो दिखाकर “विक्टिम कार्ड” खेलने की कोशिश कर रहा है। कश्मीर मामले पर दुनिया को गुमराह करने के लिए पाकिस्तान ने कश्मीर घाटी में आतंकवादी हिंसा और इससे पीड़ित लोगों को दर्द और गुस्से को बयां करते दर्जनों वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर “कश्मीर के ताजा हालात” बताते हुए अपलोड किए हैं। ऐसे गुमराह करने वाले कई वीडियो क्लिप भारत में भी ट्रेंड कर रहे हैं।

मजे की बात है कि पाकिस्तान की यह चालबाजी भी उसके काम नहीं आ रही है। दरअसल, आतंकवाद को लेकर उसका दोहरा रवैया तथा बलूचिस्तान और गुलाम कश्मीर में आम लोगों के दमन के चलते उसका ट्रैक रिकार्ड इतना बिगड़ चुका है कि कोई भी उस पर विश्वास करने को तैयार नहीं है।

अमेरिकी अखबार वाल स्ट्रीट में प्रकाशित एक लेख में पत्रकार सदानंद धूमे ने लिखा है, “पाकिस्तानी सेना का पत्रकारों के साथ असभ्य व्यवहार तथा अल्पसंख्यक बलूचों और पश्तूनों का प्रतिनिधित्व करने वाले विपक्षी नेताओं के प्रति उसका रवैया- इन सबको देखने पर पाकिस्तान का यह तर्क देना मुश्किल है कि कश्मीरी पाकिस्तान में बेहतर होंगे।“

भारत और अफगानिस्तान में जिहादी समूहों का समर्थन

धूमे आगे लिखते हैं, “पाकिस्तान ने लंबे समय से कश्मीर को अपनी विदेश नीति का एक केंद्रीय मुद्दा बनाया हुआ है। वह कश्मीर पर भारत को मजबूर करने के लिए भारत और अफगानिस्तान में जिहादी समूहों का समर्थन कर रहा है और ऐसा कर वह अपनी अर्थव्यवस्था की उपेक्षा भी कर रहा है। पाकिस्तान किसी भी हाल में कश्मीर मामले पर भारत से बराबरी करना चाहता है और वह ऐसा करने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है।“ इसी तरह का एक लेख न्यूयॉर्क टाइम्स के पत्रकार मारिया अबी-हबीब ने भी लिखा है। उन्होंने लिखा “पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था टूटने के कगार पर है और उसके अंतरराष्ट्रीय सहयोगी चुप रह गए हैं। ये स्थिति पाकिस्तान का हाल बयां कर रही है।”

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