शवशव

बुलंदशहरः हाथरस की दिल दहला देने वाली घटना के दो साल बाद बुलंदशहर में भी सामूहिक दुष्कर्म के बाद हत्या (murder after gang rape) की घटना सामने आई है। हाथरस की तरह यहां पुलिस ने शव को खुद नहीं जलाया बल्कि परिवार को धमकाकर आधी रात को ही अंतिम संस्कार करने को कथित रूप से मजबूर किया। बुलंदशहर और अलीगढ़ की सीमा पर बसे गांव डिबाई-गालिबपुर में बीती 21 जनवरी के इस मामले को पुलिस-प्रशासन ने डरा-धमकाकर दबा दिया था। साथ ही अखबारों को बताया कि प्रेम प्रसंग के मामले में लड़की की हत्या हुई। हालांकि मामले की परतें अब खुलने लगी हैं।

किशोरी के एक परिवारीजन के मुताबिक डिबाई गालिबपुर निवासी उनकी 16 वर्षीय भांजी 21 जनवरी को घर से चारा लेने गई थी। दोपहर में धोरऊ गांव निवासी सौरभ शर्मा और उसके तीन साथी उसको जबरन उठाकर कर उसी गांव में ट्यूबवैल पर ले गए और वहां उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया । उसके बाद सौरभ ने किशोरी के सिर में गोली मारकर उसकी हत्या कर दी। पुलिस के फोन से परिवार वालों को घटना का पता चला।

किशोरी के परिवारीजनों का आरोप है कि वहां ट्यूबवैल के कमरे की बाहर से कुंडी लगी हुई थी। अंदर किशोरी का खून फर्श पर था। आरोपी सौरभ भी वहीं था। वहां की स्थिति को देखकर कोई भी समझ सकता था कि किशोरी के साथ गलत काम किया गया है। पुलिस वाले किशोरी के शव को अलग और आरोपी को अलग गाड़ी में बैठाकर ले गए। शाम को ही पुलिस शव को बुलंदशहर जिला अस्पताल ले गई लेकिन परिवार वालों को कोई जानकारी नहीं दी।

अगले दिन 22 जनवरी को अधिकारियों का फोन आया कि बुलंदशहर जिला अस्पताल में बेटी के शव का पोस्टमार्टम हो रहा है। परिवार वाले पोस्टमार्टम से संतुष्ट नहीं थे और उन्होंने अपनी मौजूदगी में अगले दिन पोस्टमार्टम करवाने की मांग की लेकिन पुलिस ने वहां लाठी का भय दिखाकर शव रवाना कर दिया। परिवार वालों ने पुलिस अधिकारियों से कहा कि बिटिया का शव गांव में ले आओ लेकिन अधिकारियों ने मना कर दिया। इसके बाद परिवार वाले बुलंदशहर अस्पताल पहुंचे और किशोरी के साथ बुरा काम होने का अंदेशा जताया लेकिन पुलिस इनकार करती रही। परिवार वालों ने एफआईआर में सामूहिक दुष्कर्म की धारा जोड़ने व सभी आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग की लेकिन पुलिस ने धमकाकर चुप करा दिया। उनको रात करीब 8 बजे शव सौंप दिया।

पीड़ित परिवार को ही अंदर करने और मुकदमा दर्ज करने की धमकी

परिवार वाले 22 जनवरी की रात को अंतिम संस्कार नहीं करना चाहता थे क्योंकि रात में अंतिम संस्कार करना अशुभ माना जाता है। वे सामाजिक रीति रिवाजों के अनुसार अंतिम संस्कार के लिए गिड़गिड़ाते रहे लेकिन पुलिस नहीं मानी। पुलिस ने कोविड एक्ट के प्रावधान व कार्रवाई का दबाव बनाकर तत्काल अंतिम संस्कार करने को कहा। जब वे शव लेकर श्मशान घाट पहुंचे तो पुलिस की एक गाड़ी साथ थी। इसके बाद पुलिस की एक और गाड़ी आई। परिवार वालों के मुताबिक उन्हें अंदर करने और मुकदमा दर्ज करने की धमकी दी। आखिर रात 12 बजे अपनी बेटी का अंतिम संस्कार करना पड़ा। परिवार वालों और ग्रामीणों ने पुलिस पर आरोपियों के दबाव में एकतरफा कार्रवाई का आरोप लगाया है।

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