बरेली लाइव। ‘प्रेम शाश्वत होता है यह ऊंच नीच भेदभाव नहीं देखता’ सच्चे प्यार की दास्तान दिखाता नाटक “हीर रांझा” का आज एसआरएमएस रिद्धिमा में मंचन हुआ। काजल सूरी निर्देशित इस नाटक में पंजाब की प्रसिद्ध प्रेम कहानी हीर और रांझा के प्रसंगों का संगीतमय वर्णन हुआ।

हीर पंजाब के झंग शहर के सियाल परिवार में पैदा हुई एक बहुत सुन्दर लड़की थी तथा राँझा चिनाब नदी के किनारे तख़्त हज़ारा गाँव के एक परिवार के लड़कों में सबसे छोटा था। वह अपने पिता का प्रिय बेटा था। इसलिए जहां उसके भाई खेतों में मेहनत करते थे। रांझा बांसुरी बजाता आराम की ज़िन्दगी बसर कर रहा था। जब उसकी भाभियों ने उसे खाना देने से इनकार कर दिया। तब वह घर छोड़कर निकल पड़ा और चलते चलते हीर के गाँव पहुंचा। वहां उसे हीर से प्यार हो गया।

हीर ने उसे अपने पिता की गाय, भैसें चराने का काम दिया। एकदिन रांझे की बाँसुरी सुनकर वह उसपर मुग्ध हो गई और उससे प्यार कर बैठी। दोनों छुप छुपकर मिलने लगे। एक दिन उन्हें हीर का चाचा कैदो देख लेता है और हीर के माता-पिता को बता देता है। हीर के पिता चौधरी चूचक और माता मलकी ज़बरदस्ती हीर की शादी एक सैदा खेड़ा नाम के पागल से कर देते हैं।

रांझे का दिल टूट जाता है और वो जोगी बन घूमता है। आख़िरकर एक दिन वह हीर की ससुराल पहुंच जाता है। हीर की ननद सहती हीर की मदद करती है। हीर-रांझा दोनों हीर के गाँव आ जाते हैं जहां हीर के माँ-पिता उन्हें शादी करने की इजाज़त दे देते हैं, लेकिन हीर का चाचा कैदो उन्हें खुश देखकर जलता है। शादी के दिन कैदो हीर को जहरीले लड्डू खाने को देता है। यह ख़बर सुनकर रांझा उसे बचाने दौड़ा आता है, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। लड्डू खाकर हीर मर जाती है और राँझा दुखी होकर उसी ज़हरीले लड्डू को खुद खा लेता है।

इस बेहतरीन संगीतमय नाटक में पूजा ने हीर और शुभम शर्मा ने रांझा की भूमिका को बखूबी अंजाम दिया। वहीं रचना यादव (रुखसाना व रेहाना), नवजोत (नूर व सुरगो), अमरजीत (मोजो व काजी), महेश (खुदाबख्श), राहुल (मौलाबख्श व बलोच), रोहित राजपूत (चौधरी चूचक), जसकिरण (मलकी), जतिन (पाटमल), शांतनु (कैदो) ने अपनी अपनी भूमिकाओं के साथ न्याय किया। नाटक में अजहर ने लाइट, दिनु ने संगीत, राशिदा ने कास्ट्यूम व मेकअप, श्रीयांश ने बैक स्टेज, रोहित कुमार ने प्रोडक्शन मैनेजर, अंजू मट्टू व राम मेहर ने कोरियोग्राफर के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। इस मौके पर एसआरएमएस ट्रस्ट के चेयरमैन देव मूर्ति, ट्रस्टी आशा मूर्ति, डा.एसबी गुप्ता, डा.प्रभाकर गुप्ता, डा.अनुज कुमार, डा.अनुराग मोहन, डा. रीटा शर्मा सहित शहर के अन्य गणमान्य लोग मौजूद रहे।

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