बरेली लाइव। शब्दांगन साहित्यिक संस्था एवं मानव सेवा क्लब के संयुक्त तत्वावधान में गुरुवार को क्लब के कहरवान स्थित सभागार में ग़ज़ल के महानायक दुष्यंत कुमार की जयंती पर विचार गोष्ठी और सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। जिसमें ग़ज़ल के युवा सशक्त हस्ताक्षर आशु मिश्रा को “दुष्यंत कुमार स्मृति सम्मान” प्रदान किया। सर्वप्रथम हिंदी ग़ज़ल के महानायक दुष्यंत के चित्र पर पुष्प अर्पित और माल्यार्पण करके कहानीकार ज्योत्स्ना कपिल ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि मशहूर शायरा सिया सचदेव ने दीप प्रज्ज्वलित कर दुष्यंत की ग़ज़ल पढ़ी कि “कहाँ तो तय था चिरागां हर एक घर के लिये, कहाँ चिराग़ मय्यसर नहीं शहर के लिए” को बहुत सराहा गया। सरस्वती वंदना शकुन सक्सेना ने की। कमल सक्सेना ने मानव सेवा गीत पढ़ा। कार्यक्रम की अध्यक्षता मशहूर शायर प्रो. वसीम बरेलवी ने की। संयोजन सुरेन्द्र बीनू सिन्हा ने किया। संचालन कर रहे डॉ. अवनीश यादव ने पढा कि

‘मुझमे रहते हैं करोड़ों लोग चुप कैसे रहूँ, हर ग़ज़ल सल्तनत के नाम एक बयान है।

रमेश गौतम ने दुष्यंत के लेखन के विषय में कहा कि उन्होंने लोक मन को कविता से ऐसा बांध लिया है कि हर दारुण मन अपनी व्यथा दुष्यंत की कविता के माध्यम से कह लेता है। वो जन बोध के कवि थे उन्होंने पाठकों को हिन्दी ग़ज़ल का व्याकरण दिया।
‘खण्डहर बचें हुए हैं इमारत नहीं रही
अच्छा हुआ कि सर पर छत नहीं रही’

विनय सागर जैसवाल ने कहा कि इंदिरा गांधी ने जब इमर्जेंसी लगायी थी सब पत्र पत्रिका पर पहरा था तब दुष्यंत ने लिखा कि
‘मत कहो आकाश मे कोहरा घना है
ये किसी की व्यक्तिगत आलोचना है’

चंद्रा लखनवी ने बताया कि दुष्यंत जब दुनिया में छाए तो बहुतों ने कहा कि वे हिंदी के शायर हैं पर वो कभी अपनी लीक से हटे नहीं और अपनी बेबाक बात कहते रहे।
हिमांशु श्रोत्रिय ‘निष्पक्ष’ ने सुनाया कि अगर दुष्यंत न होते तो क्या होता।
सुरेश बाबु मिश्रा ने उनके संकलन ‘साये में धूप’ के विषय में बताते हुए कहा कि 1974 के दौरान देश में जो आन्दोलन चल रहा था उस समय की नब्ज पहचानते हुए ही इस काव्य संकलन की रचना हुई थी,
मेरे सीने में न सही तेरे सीने में सही
हो कहीं भी आग-आग जलना चाहिए

नई बयार के कवि आशु मिश्रा ने पढा कि
अव्वल तो मोहब्बत में जी नहीं लगता
दूसरा इस काम के पैसे नहीं मिलते।

प्रख्यात शायर वसीम बरेलवी ने नए शायरों को आशीर्वाद और शुभकामनाएं दीं। कार्यक्रम में रमेश गौतम, चंद्रा लखनवी, रणधीर प्रसाद गौड़, सुरेश बाबू मिश्रा, विनय सागर, राम प्रकाश सिंह ओज, हिमांशु श्रोत्रिय, निर्भय सक्सेना, कमल सक्सेना, राम कुमार भारद्वाज, उपमेन्द्र सक्सेना, रितेश साहनी सहित अनेक लोग उपस्थित रहे।

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