देहरादून :विधानसभा में हुईं मनमानी भर्तियों को लेकर आजकल उत्तराखण्ड सुर्खियों में है। इसे लेकर युवाओं में आक्रोश पनप रहा है जिसे विधानसभा अध्यक्ष (speaker of the assembly) ऋतु खंडूड़ी ने थामने की कोशिश की है। उन्होंने विधानसभा में हुईं सभी नियुक्तियों और पदोन्नतियों की जांच के लिए एक हाईपावर कमेटी का गठन कर एक माह में रिपोर्ट मांगी है। विवादों से घिरे सचिव मुकेश सिंघल को अवकाश पर भेज दिया गया है। साथ ही स्पीकर ने प्रदेश के युवाओं को विश्वास दिलाया है कि उनके साथ न्याय होगा। इस कमेटी की जो भी रिपोर्ट होगी,उसी के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
पिछले कुछ समय से विधानसभा में भर्तियों को लेकर हंगामा हो रहा है। पूर्व स्पीकर गोविंद सिंह कुंजवाल ने 152 और पूर्व स्पीकर प्रेमचंद अग्रवाल ने अपना कार्य़काल समाप्त होने से ऐन पहले विस में नियुक्तियां कर दी थीं। सवाल उठने पर दोनों ने इसे अपना विशेषाधिकार बताया था। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्पीकर को एक खत लिखकर इनकी जांच का आग्रह किया था।
विदेश दौरे से लौटीं ऋतु खंडूड़ी ने आज विधानसभा में पत्रकारों से वार्ता कर कहा कि सभी नियुक्तियों और पदोन्नतियों की जांच के लिए पूर्व प्रमुख सचिव डीके कोटिया की अध्यक्षता में एक हाईपावर कमेटी बना दी गई है। इसमें पूर्व आईएएस और कार्मिक सचिव रहे एसएस रावत और पूर्व आईएएस अवनींद्र सिंह नयाल को सदस्य बनाया गया है। कमेटी को एक माह में रिपोर्ट देने को कहा गया है। मौजूदा सचिव मुकेश सिंघल को तत्काल प्रभाव से अगले आदेशों तक अवकाश पर भेज दिया गया है। उन्होंने कहा कि 2011 तक विस में यूपी की नियमवली लागू थी। 2012 में राज्य ने अपनी नियमावली बनाई। पहले 2012 से 2012 तक की नियुक्तियों की जांच की जाएगी। अगर जरूरत पड़ी तो राज्य गठन से 2011 तक की नियुक्तियों को भी जांच के दायरे में लाया जाएगा।
राज्य गठन के बाद से ही विस में मनमानी नियुक्तियों का मामला चर्चा में रहा है। जो भी स्पीकर रहा, उसने अपने हिसाब से भर्तियां कर दीं। न तो कोई विज्ञापन निकाला गया और न ही किसी तरह की चयन प्रक्रिया का पालन किया गया। एक स्पीकर ने तो गैरसैंण में काम के नाम पर सीधे ही 70 लोगों को विधानसभा में नौकरी दे दी।यहां बता दें कि भाजपा की अंतरिम सरकार में स्व. प्रकाश पंत, कांग्रेस की पहली निर्वाचित सरकार के समय में यशपाल आर्य, उसके बाद स्व. हरबंस कपूर, फिर गोविंद सिंह कुंजवाल और उसके बाद प्रेमचंद अग्रवाल विधानसभा के अध्यक्ष रह चुके हैं। सूत्रों का कहना है कि सभी ने अपने-अपने कार्यकाल में जमकर नौकरियां बांटीं। यही वजह है कि ये मामला आए दिन सुर्खियों में रहता है।