नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में श्रीराम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद पर बुधवार को चौदहवें दिन राम जन्मभूमि पुनरुद्धार समिति ने अपना पक्ष रखा। उसके वकील पीएन मिश्रा ने अपनी दलीलें रखते हुए कहा कि तीन गुंबद वाली वह इमारत मस्जिद नहीं थी। मस्जिद में जिस तरह की चीज़ें ज़रूरी होती हैं, वे उसमें नहीं थीं। विवादित इमारत बनवाने वाला कौन था, इस पर संदेह है। बाबर का मीर बाकी नाम का कोई सेनापति ही नहीं था।
मिश्रा ने अपनी दलीलें रखते हुए तीन किताबों का ज़िक्र करते हुए कहा कि आईने अकबरी और हुमायूंनामा में बाबर द्वारा बाबरी मस्जिद बनवाने की बात नहीं है। तुर्क-ए-जहांगीरी किताब में भी बाबरी मस्जिद के बारे में कोई जिक्र नही हैं। बाबर सिर्फ इस बात से वाकिफ़ था कि ज़मीन वक़्फ़ की है।
मिश्रा ने दलील दी कि इस मस्जिद में कभी कोई इमाम या मुअज्जन नहीं रहा है जो अजान देकर लोगों को नमाज के लिए बुलाता हो। इस ढांचे में मस्जिद के कोई चरित्र नहीं था। इस्लाम में कहा गया है कि मस्जिद पूर्ण स्वामित्व वाली जमीन पर हो और उसे किसी इमारत को तोड़कर नहीं बनाया गया हो। उसमें अजान हो और उसका वक्फ सृजित किया गया हो।
मामले की सुनवाई बुधवार को भी जारी रहेगी।
इससे पहले मंगलवार की सुनवाई में निर्मोही अखाड़ा की दलीलें पूरी होने के बाद राम जन्मभूमि पुनरुद्धार समिति की तरफ से पीएन मिश्रा ने कहा था कि मंदिर को शिफ्ट किया जा सकता है, राम जन्मभूमि को शिफ्ट नहीं किया जा सकता, जैसे मक्का और मदीना को शिफ्ट नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि हिंदुओं के लिए यह मायने नहीं रखता कि मंदिर बाबर ने गिराई या औरंगजेब ने। यह मुस्लिम पक्ष के लिए अहमियत रखता है कि बाबर ने मस्जिद कैसे बनवाई?