Dhanteras 2022 :पंच दिवसीय दीपावली का पहला दिन धन त्रियोदशी से आरम्भ होता है। धन त्रयोदशी प्रदोष व्यापिनी कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रियोदशी के दिन मनायी जाती है।-इस बार धनतेरस पर “हस्त नक्षत्र” में बन रहा विशेष शुभ “सर्वार्थसिद्धि एवं अमृत सिद्ध योग” खरीदारी के लिए रहेगा विशेष शुभ होग़ा विशेष लाभ। मुहूर्त-(स्वयं सिद्धि अबूझ मुहुर्त रहेगा पूरे दिन)
धन त्रयोदशी पर्व निर्णय(प्रदोष व्रत):- प्रदोष-व्यपिनी त्रयोदशी वाले दिन प्रदोष व्रत किया जाता है। सूर्यास्त के बाद त्रिमुहूर्त-व्यपिनी ग्रहण करनी चाहिए परन्तु यदि दोनों दिन त्रयोदशी प्रदोष-व्यपिनी हो तो यह व्रत दूसरे दिन करना चाहिए। “कालमाधवकार” के अनुसार भी उपरोक्त कथन सत्य है। इस वर्ष कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी दिनाँक 22 एवं 23 अक्टूबर को प्रदोष व्यपिनी है दोनों दिन प्रदोष काल लगभग सांय 5:45 बज़े से रात्रि 8:15 बज़े तक रहेगा।अतः उपरोक्त शास्त्रानुसार दिनाँक 23 अक्टूबर 2022, रविवार को ही प्रदोष व्रत ग्राह्म एवं मान्य होग़ा।रविवार को धनत्रयोदशी मनाना रहेगा विशेष शुभ क्योंकि इस दिन बन रहे शुभ योग जिसका मिलेगा कई गुना विशेष फल
यमदीप दान–यमदीप दान भी धन्वंतरि जयंती पर प्रदोष कालीन कृष्ण त्रयोदशी तिथि को ही मनाया जाता है।इस बार दिनाँक 23 अक्टूबर 2022,रविवार को मनाई जाएगी।
इस दिन शुभ फल देने वाला उ फा एवं हस्त नक्षत्र अपराह्न 2:34 बजे के बाद होग़ा आरम्भ जोकि अगले दिन तक रहेगा।इस दिन चंद्र का भी संचार कन्या राशि मे होना शुभ रहेगा।गोचर में शुक्र-बुध ग्रह का राजयोग भी बन रहा है जोकि धनतेरस पर कुबेर जी को प्रसन्न करने के साथ व्यापार शुभ कार्यों के आरम्भ करने के लिए भी अतिश्रेष्ठ रहेगा।*
इस दिन चुर्तमास की समाप्ति होगी।
पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान धन्वन्तरि का जन्म हुआ था, भगवान धनवन्तरि आयुर्वेद विद्या के जनक माने जाते हैं। समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वन्तरि इसी दिन समुद्र से हाथ में अमृत कलश लिये प्रकट हुए थे इसलिए इस दिन को धन्वन्तरि जयंती भी कहा जाता है ऐसा भी माना जाता है कि समुद्र मन्थन के समय शरद पूर्णिमा के दिन चन्द्र देव, कार्तिक द्वारदाशि के दिन कामधेनू गाय, त्रियोदशी के दिन, भगवान धन्वन्तरि, चर्तुदशी तिथि के दिन माँ काली एवं अमावस्या के दिन महा लक्ष्मी का प्रर्दुभाव हुआ था।
–रविवार को धन्वन्तरि पूजा मुहुर्त– प्रात: काल 07:40 बजे से 12:04 बजे तक। बर्तन एवं आभूषण क्रय मुहुर्त अपराह्न 1:28 बजे से 2:53 बजे तक एवं सांय काल 5:47 बजे से रात्रि 10:28 बजे तक
यम दीप दान मुहुर्तसायं काल (प्रदोष काल )5:44 बज़े से 7:14 बजे तक प्रदोष काल वेला की निशा मुख में शुभ रहेगा। —कुबेर पूजन मुहुर्त-– रात्रि काल 7:09 बजे से रात्रि 8:47 बजे।
ज्योतिषाचार्य पं राजीव शर्मा।
बालाजी ज्योतिष संस्थान,बरेली।
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