इस्लामाबाद। जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्ज खत्म कि जाने के बाद से भारत को परमाणु युद्ध की धमकी देते रहे पाकिस्तानी हुक्मरानों के सुर वैश्विक दबाव के चलते बदलने लगे हैं। इस्लामाबाद ने नई दिल्ली के साथ द्विपक्षीय बातचीत की नई पेशकश की है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने शनिवार को कहा, “भारत के साथ सशर्त द्विपक्षीय बातचीत से हमें कोई ऐतराज नहीं है।” हालांकि कुरैशी ने साफ नहीं किया कि ये शर्त क्या होगी। गौरतलब है कि भारत पहले ही कह चुका है कि पाकिस्तान जब तक आतंकवादियों को प्रशिक्षण देना और भारत में उनकी घुसपैठ कराना बंद नहीं करता तब तक उसके साथ कोई बातचीत नहीं होगी। साथ ही भारत ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि अब जो भी बातचीत होगी वह पीओके (पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर) पर होगी।
अपने ताजा बयान में कुरैशी ने कहा कि पाकिस्तान ने कभी भी भारत के साथ द्विपक्षीय बातचीत का विरोध नहीं किया है। कुरैशी का यह बयान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की उस भाषण के विपरीत है जिसमें उन्होंने कहा था कि जम्मू-कश्मीर पर पांच अगस्त को भारत ने जो किया है उसके बाद नई दिल्ली के साथ बातचीत की कोई संभावना नहीं है। कुरैशी ने कहा, “हमने यह कभी नहीं कहा कि बातचीत होगी। हालांकि, हम ये नहीं देख रहे हैं कि क्या भारत बातचीत का माहौल बनने दे रहा है।”
दरअसल, भारत सरकार द्वारा धारा 370 को खत्म करने के बाद पाकिस्तान के हुक्मरानों में भारी बेचैनी है। पहले तो उन्होंने इस मसले को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में उठाने की कोशिश की लेकिन जब वहां से भी मायूसी मिली तो युद्ध की धमकियां देने लगे। पिछले सोमवार को ही पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने गीदड़ भभकी देते हुए कहा था, “भारत के प्रधानमंत्री को याद रखना चाहिए कि दोनों देशों के पास परमाणु हथियार हैं। परमाणु युद्ध में कोई विजेता नहीं होगा। ये न सिर्फ इस क्षेत्र में कहर बरपाएगा बल्कि पूरी दुनिया को इसके परिणाम भुगतने होंगे।”
असल में पाकिस्तान दुनिया के सामने खुद को एक शरीफ मुल्क के तौर पर दिखाना चाहता है। माना जा रहा है कि पाकिस्तानी विदेश मंत्री का बयान इन्हीं कोशिशों का नतीजा है। पाकिस्तान एक ओर भारत में आतंकियों की घुसपैठ कराने के लिए सीमा पर लगातार सीजफायर तोड़ रहा है, वहीं दूसरी ओर युद्ध की धमकियां देकर दुनिया का ध्यान भी खींचना चाहता है। हालांकि, इस सबके बावजूद दुनिया कि किसी भी बड़े देश ने उसकी कोशिशों को तरजीह नहीं दी है। उल्टे अमेरिका और रूस ने उसे क्षेत्र में संयम बरतने की नसीहत दी है। यही वजह है कि पाकिस्तान के हुक्मरान बार-बार गिरगिट की तरह रंग बदल रहे हैं।