BareillyLive: श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ 51 कुंडीय अष्टम दिवस में यज्ञ में आए हुए वेद आचार्यों के द्वारा लक्ष्मी नारायण पूजन एवं सभी देवी देवताओं का पूजन हुआ। आज भी लगभग 125000 आहुति लगाई गईं। यज्ञ प्रबंधक आचार्य हेमंत शांडिल्य, आचार्य अनुज मिश्रा तथा आचार्य राजीव नारायण मिश्र एवं आशुतोष मिश्र जी के अलावा अन्य आचार्यों ने यज्ञ संपन्न कराया। आज यज्ञ आयोजन में मुख्य अतिथि महापौर डॉ उमेश गौतम व उनके साथ विशाल मेहरोत्रा व अमन सक्सेना रहे। कथा में शामिल अन्य अतिथिगणों में भाजपा पूर्व जिलाध्यक्ष पूरन लाल लोधी, निदेशक अभियोजन अवधेश पांडेय, अवर अभियंता प्रवीण कुमार तथा प्रभारी निरीक्षक (पी आर ओ ऐस ऐस पी) अखिलेश प्रधान शामिल रहे। इनके अलावा सायंकाल कथा में मुख्य अतिथि के रूप में श्री महंत सोमेश्वरानंद जी महाराज (श्री पंच अग्नि अखाड़ा महामंत्री), श्री महंत नीलेश चैतन्य ब्रह्मचारी जी महाराज (श्री पंच अग्नि अखाड़ा मंत्री), श्री महंत विचित्रानंद जी महाराज स्थानापति प्रयागराज आज मुख्य अतिथि रहे।
कथा में महंत गोपालानंद ने कहा कि इन आठ दिनों में मैं आप सबके प्रेम का कायल हो गया हूँ पर अब मुझे भी अपने वृन्दावन की याद आ रहीं है, उस धरती में कृष्ण का वास है वो अपने भक्तों को ज्यादा दिन स्वयं से दूर नहीं रहने देते। गोविंद अपने प्रिय जनों को कभी कष्ट में नहीं देख पाते उनकी तुरंत मदद करते हैं। सुदामा कृष्ण मित्रता का भावपूर्ण व्याख्यान करते हुए बताया कि सुदामा की पत्नी का नाम था सुशीला यथा नाम तथा गुण। सुदामा जी तो बस हरि नाम स्मरण करते रहते थे कहते थे इससे बड़ा धन नहीं होता। कभी किसी से कुछ मांगने नहीं जाते थे। फ़िर एक दिन एक महात्मा आए और उन्होंने सुशीला देवी से कहा कि तेरा पति तो बहुत भोला है द्वारिकाधीश जिसके मित्र हैं वो अभावों में जीवन यापन कर रहा है, तब सुशीला देवी आस पड़ोस से थोड़े कच्चे चावल मांग लायी और सुदामा को कृष्ण से मिलने भेजा।
आयोजन में व्यवस्थापक के रूप में पंकज पाठक, सचिव पंडित विनोद मिश्रा, मंत्री सुमित श्रीवास्तव, महंत अजय शर्मा, ठाकुर राहुल सिंह, संजीव अग्रवाल, प्राकानशु शंखधार, शिवकांत शर्मा, अनुराग शर्मा, गजेंद्र सिंह यादव, मनोज मिश्रा, शशिकांत गौतम, सुशील शर्मा ‘गब्बर’ और महिलाओं में साध्वी अनीतानंदा जी, वंदना शांडिल्य, रूबी मिश्रा, नेहा मिश्रा, राधा सिसोदिया, शिवाली श्रीवास्तव, संतोष शर्मा, प्रियंका तिवारी, संस्कृति शर्मा, रचना श्रींवास्तव, दीक्षा सक्सेना आदि का महत्वपूर्ण योगदान रहा।