BareillyLive (नई दिल्ली) : केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सी.डी.एस.सी.ओ) ने हाल ही में हुए निरीक्षण के दौरान ये पाया कि व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं के करीबन 70 नमूने घटिया गुणवत्ता के थे। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन ने बीते साल दिसंबर महीने में देश के अलग अलग राज्यों से 1375 दवाओं के सैंपल एकत्रित किए थे, जिनमें से जांच के दौरान 70 दवाएं सब-स्टेंडर्ड पाई गयी। जिन भारतीय फार्मा कंपनियों के दवाई के नमूने घटिया स्तर के पाए गए उनमें हिमाचल प्रदेश में मेडेन फार्मास्यूटिकल्स की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट से लिए गए कफ सिरप के पांच नमूने शामिल हैं। दक्षिण अफ्रीकी देश गाम्बिया में कफ सिरप पीने से 80 से ज्यादा बच्चों की मौत हुई थी। मेडेन फार्मा के द्वारा हरियाणा के सोनीपत की कंपनी की दवाई मिली थी। इन आरोपों के बाद केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और विश्व स्वास्थ्य संगठन के द्वारा जांच की गई थी। इसके बाद से मेडेन फार्मा के कफ सिरप के उत्पादन पर रोक लगा दी गई। उसकी ब्रांच मानपुरा में होने से ड्रग विभाग ने एहतियात के तौर पर कंपनी में बनी दवा के पांच अलग-अलग बैच के सैंपल लिए थे। ये मानकों पर सही नहीं पाए गए।

कफ सिरप के अलावा कुछ कंपनियों के द्वारा बेची जाने वाली ओफ़्लॉक्सासिन और विटामिन की गोलियां और फोलिक एसिड सिरप जैसे आमतौर पर इस्तेमाल होने वाले एंटीबायोटिक्स के नमूने भी केंद्रीय औषधि मानक और नियंत्रण संगठन द्वारा ‘मानक गुणवत्ता के नहीं पाए गए। केंद्रीय औषधि मानक और नियंत्रण संगठन ने नवंबर में कहा था कि 1487 नमूनों में से 83 (6 प्रतिशत) निम्न-मानक गुणवत्ता वाले पाए गए। जिन दवाओं की गुणवत्ता निम्न स्तर की पायी गई उनमें एंटासिड, एंटीबायो टिक्स और बीपी की दवाएं शामिल थी। अक्टूबर में हुई जांच के दौरान 1280 दवाओं के नमूनों में से 50 (4 प्रतिशत) दवाएं निम्न गुणवत्ता वाली पायी गई। वही केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) के द्वारा गत 2022 में जनवरी से सितंबर महीने तक जिन दवाओं के नमूनों की जांच हुई उनकी गुणवत्ता भी 27, 39, 48, 27, 41, 26, 53, 45 और 59 रही।

रिपोर्ट: मोहित ‘मासूम’

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