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संत रविदास जयंती 2023 : माघ पूर्णिमा के दिन महान कवि, दार्शनिक,समाज सुधारक आध्यात्मिक गुरु संत रविदास जी (रैदास) जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता हैं। इस वर्ष यह पर्व रविवार, 5 फ़रवरी को मनाया जायेगा। प्र्त्येक वर्ष उनके अनुयायी उनके जन्मदिवस पर पवित्र नदियों में स्नान करते हैं। फिर, वे गुरु रविदास के जीवन से जुड़ी महान घटनाओं और अनमोल विचारों को याद करके उनके दिखाए मार्ग का अनुसरण करने की प्रेरणा लेते हैं।

संत रविदास का जन्म

संत रविदास जी का जन्म काशी में माघ पूर्णिमा दिन रविवार को संवत 1388 को हुआ था। उनके पिता का नाम राहू तथा माता का नाम करमा था। उनकी पत्नी का नाम लोना बताया जाता है।

संत रविदास जी को गुरु रविदास, रैदास, रूहिदास जैसे अनेको नाम से लोकप्रिय रहें ,जिन्होंने समाज में व्याप्त बुराइयों को लेखन और आंदोलन करके के दूर किया था। वह ईश्वर की भक्ति पर पूर्ण विश्वास करते थे। उनके ज्ञान एवं वाणी की मधुरता से सभी लोग प्रभावित होते थे। उनके द्वारा कहे शब्द, दोहे, पद और अनमोल वचन (विचार) आज भी हम सभी को सदैव आगे बढ़ने का मार्ग प्रशस्त करते रहेंगे। आइयें जानते हैं :-

संत रविदास जी के अनमोल विचार

1-भगवान उस ह्रदय में निवास करते हैं जिसके मन में किसी के प्रति बैर भाव नहीं है, कोई लालच या द्वेष नहीं है।

2-कोई भी व्यक्ति छोटा या बड़ा अपने जन्म के कारण नहीं बल्कि अपने कर्म के कारण होता है। व्यक्ति के कर्म ही उसे ऊँचा या नीचा बनाते हैं।

3-किसी की पूजा इसलिए नहीं करनी चाहियें क्योंकि वो किसी पूजनीय पद पर बैठा हैं। यदि उस व्यक्ति में योग्य गुण नहीं हैं तो उसकी पूजा नहीं करनी चाहियें। इसके विपरीत यदि कोई व्यक्ति ऊँचे पद पर नहीं बैठा है परन्तु उसमे योग्य गुण हैं तो ऐसे व्यक्ति को पूजना चाहियें।

4-कभी भी अपने अंदर अभिमान को जन्म न दें। इस छोटी से चींटी शक्कर के दानों को बीन सकती है परन्तु एक विशालकाय हाँथी ऐसा नहीं कर सकता।

5-मोह-माया में फसा जीव भटक्ता रहता है। इस माया को बनाने वाला ही मुक्ती दाता है।

6-जीव को यह भ्रम है कि यह संसार ही सत्य है किंतु जैसा वह समझ रहा है वैसा नही है, वास्तव में संसार असत्य है।

7-भ्रम के कारण साँप और रस्सी तथा सोने के गहने और सोने में अन्तर नहीं जाना जाता, किन्तु भ्रम दूर होते ही इनका अन्तर ज्ञात हो जाता है, उसी प्रकार अज्ञानता के हटते ही मानव आत्मा, परमात्मा का मार्ग जान जाती है, तब परमात्मा और मनुष्य मे कोई भेदभाव वाली बात नहीं रहती।

8-जिस प्रकार तेज़ हवा के कारण सागर मे बड़ी-बड़ी लहरें उठती हैं, और फिर सागर में ही समा जाती हैं, उनका अलग अस्तित्व नहीं होता । इसी प्रकार परमात्मा के बिना मानव का भी कोई अस्तित्व नहीं है।

9-हमें हमेशा कर्म करते रहना चाहियें और साथ साथ मिलने वाले फल की भी आशा नहीं छोड़नी चाहयें, क्योंकि कर्म हमारा धर्म है और फल हमारा सौभाग्य।

मीराबाई के गुरु:-

संत रविदास जी मीराबाई के धार्मिक गुरु थे। रविदास जी एक परोपकारी और दयालु व्यक्ति थे। दूसरों की सहायता एवं साधु संतों का साथ उन्हें बेहद पसंद था। अपना ज्यादातर समय और प्रभु भक्ति एवं सत्संग में व्यतीत करते थे। वह ईश्वर की भक्ति पर पूर्ण विश्वास करते थे। उनके ज्ञान एवं वाणी की मधुरता से सभी लोग प्रभावित होते थे।उन्होंने अपनी रचनाओं, कविताओं, दोहे आदि के माध्यम से लोगों का अंधविश्वास दूर किया, सामाजिक सुधार कार्य किए इसलिए हर साल उनके कार्यों पर आस्था रखने के लिए रविदास जयंती मनाई जाती है।

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