बरेली@BareillyLive. बरेली के युवा अक्षांशु ने 65 वर्ग फुट की बाटिक पेण्टिंग बनाकर अपना नाम इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड में नाम दर्ज कराया है। अक्षांशु बरेली के शास्त्री नगर के निवासी और जय नारायण सरस्वती इण्टर कॉलेज के शिक्षक संजय बिसारिया के पुत्र हैं। अक्षांशु लखनऊ विश्वविद्यालय के कला एवं शिल्प महाविद्यालय के बैचलर आफ फाइन आर्ट्स (बीएफए) चौथे वर्ष के छात्र हैं।
अक्षांशु ने 65 स्क्वायर फीट की यह पेंटिंग 27 रंगों में तैयार की है। इस पेण्टिंग में उन्होंने देवताओं और असुरों द्वारा किये गये समुद्र मंथन को बड़ी खूबसूरती से चित्रित किया है। इंडिया बुक आफ रिकार्ड में शामिल इस पेंटिंग का शीर्षक ’लारजेस्ट मल्टीकलर्ड बाटिक पेंटिंग ऑफ समुद्र मंथन’ आवंटित किया गया। शनिवार को अक्षांशु को प्रमाण पत्र और पदक मिल गया।
अक्षांशु महाविद्यालय के प्रो. रणवीर सिंह बिष्ट छात्रावास में रहकर अपनी शिक्षा पूरी कर रहे हैं। अक्षांशु ने बताया कि उनके पिता संजय बिसारिया उन्हें बचपन से हिन्दू पौराणिक कथाएं सुनाते थे। ये कथाएं अक्षांशु को बहुत अच्छी लगती थीं और कुछ अच्छा करने के लिए प्रेरित करती थीं।
अक्षांशु ने बताया कि इसमें से समुद्र मंथन की कथा मुझे सबसे प्रिय थी। इसलिए कि इस कथा में विश्व कल्याण के लिए देवताओं और असुरों को एक साथ सामंजस्य बनाकर समुद्र मंथन करना पड़ा था। उसी को ध्यान में रखते हुए बाटिक कला में पेंटिंग बनाना शुरू किया। बता दें कि बाटिक कला का अर्थ है-मोम से लिखना या चित्र बनाना। बाटिक कला सबसे पहले बंगाल में शुरू हुई थी।
अक्षांशु के पिता संजय बिसारिया अपने पुत्र की इस उपलब्धि पर बहुत प्रसन्न हैं। उन्होंने बताया कि बेटे का नाम जब इण्डिया बुक ऑफ रिकार्ड में आने जानकारी मिली बहुत गर्व का अनुभव हुआ।
पांच दिनों में बनाई पेंटिंग
अक्षांशु ने बताया कि उन्हें ये पेण्टिंग बनाने में पांच दिन का समय लगा। इस कलाकृति में 65 स्क्वायर फीट सूती कपड़ा, बी मोम, पैराफिन मोम व नेपाल डाई केमिकल जैसे एचसीएल, कास्टिक, एसिटिक एसिड आदि का प्रयोग किया गया है। इसमें 27 विभिन्न रंगों का उपयोग किया गया है। उन्होंने दावा किया कि यह पौराणिक कथा पर आधारित भारत की सबसे बड़ी और सर्वाधिक रंगों वाली बाटिक पेंटिंग है।