बरेली : दुनिया भर में 8 सितम्बर World Physiotherapy Day के रूप में मनाया जा रहा है। फिजियोथेरेपी मेडिकल साइंस की ऐसी प्रणाली है जिसकी सहायता से जटिल रोगों का इलाज संभव होता है। देश में इसके प्रति जागरूकता कम होने से बहुत कम लोग इसका फायदा ले पाते हैं। फीजिओथेरेपी में ऑस्टिओअथराइटिस (गठिया) और स्पाइनल इंजरी जैसी जटिल बीमारियों का इलाज है। इसमें किसी तरह का साइड इफ्फेक्ट नहीं होना इसको आकर्षक बनाता है।
वर्ल्ड फिजियोथेरेपी डे के उपलक्ष्य में बरेली के जाने माने कंसलटेंट फिजियोथेरेपिस्ट डॉ गौरीशंकर शर्मा का कहना है कि भारत में फिजियोथेरेपी को लेकर लोगों में जागरूकता की कमी है। हमारी जीवन शैली दिन प्रति दिन तेज होती जा रही है, ऐसे में हमें फिजियोथेरेपी को अपना कर खुद को दुरुस्त रखना होगा।
उन्होंने कहा कि हम योग को प्राथमिक चिकित्सा की श्रेणी में ला रहे हैं जब की फिजियोथेरेपी योग का ही शुद्ध रूप है। फीजिओथेरेपी में हम मरीज की मांशपेशियों की गतिविधि समझ उसका इलाज करते हैं। खिलाड़ी, वरिष्ठ नागरिक और चोटों का इलाज इस विधि से आसानी से किया जा सकता है।
वर्ल्ड कॉन्फेडरेशन ऑफ फिजिकल थेरेपी ने 8 सितम्बर को वर्ल्ड फिजियोथेरेपी डे घोषित किया है, जिससे लोगो में इसके प्रति जागरूकता बढ़े और वर्तमान समय की जीवन शैली के अनुरूप उन्हें बिना किसी दुष्प्रभाव के इलाज संभव हो सके।
फिजियोथेरेपी से होने वाले फायदे
यह न्यूरो, कार्डियक, पीडिट्रिक सब तरह के मामले में उपयोगी है। इससे कुछ दर्द में तुरंत आराम मिल जाता है। लेकिन कुछ मामलों में इसकी कई सिटिंग्स लेनी पड़ती है। फिजियोथेरेपी में दर्द की मूल वजहों को तलाशकर उस वजह को ही जड़ से खत्म कर दिया जाता है।
इसको करने के लिए विशेषज्ञ स्ट्रेचिंग व व्यायाम, मसाज के अलावा इलेक्ट्रोथेरेपी की मदद लेते है। इलेक्ट्रोथेरेपी में करंट के माध्यम से इलाज करते है। इससे मांसपेशियो और जोड़ों में आराम मिलता है।
कई बड़ी सर्जरी के बाद फिजियोथेरेपी की सलाह दी जाती है, जिससे शरीर की मांसपेशियां ठीक तरह से काम करने लगे।