चेंगलम्मा परमेश्वरी, #ISRO,

चेंगलम्मा परमेश्वरी मंदिर: पिछले दिनों चंद्रयान 3 की सफलता के बाद अब ISRO Aditya L1 Mission की तैयारी में जुटा है। चांद पर पहुंचने के बाद अब ISRO सूर्य का अध्ययन करेगा। भारत का पहला सौर मिशन (आदित्य-L1 मिशन) 2 सितंबर को सुबह 11.50 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्पेसपोर्ट से लॉन्च होने वाला है। इस सफल लॉन्चिंग की कामना से आज #ISRO प्रमुख एस. सोमनाथ ने तिरुपति जिले के चेंगलम्मा परमेश्वरी मंदिर में पूजा-अर्चना की। दक्षिण भारत में लोगों के बीच इस मंदिर की बहुत मान्यता है।

चेंगलम्मा परमेश्वरी मंदिर की विशेषताएं
श्री श्रेंगलम्मा परमेश्वरी मंदिर आंध्र प्रदेश के नेल्लोर जिले में कलंगी नदी के तट पर स्थित है और इस मंदिर में हमेशा भक्तों का तांता लगा रहता है । इस मंदिर में चेंगलम्मा देवी की मूर्ति है जिसे बहुत ही शक्तिशाली माना जाता है। मूर्ति का सबसे दिलचस्प पहलू, देवी के बाएं हाथ का हिस्सा माता पार्वती को दर्शाता है, दाहिने हाथ का हिस्सा माता सरस्वती को दर्शाता है और मध्य भाग श्री महालक्ष्मी को दर्शाता है । ये विशेषताएं त्रिकाले चेंगाली नाम का कारण हैं । कहते हैं कि यदि भक्त पूरी श्रद्धा के साथ माता के दर्शन करने जाएं तो वह उन्हें कभी निराश नहीं करतीं। इसरो के वैज्ञानिक भी किसी भी उपग्रह को लॉन्च करने से पहले देवी का आशीर्वाद पाने के लिए श्री चेंगलम्मा परमेश्वरी मंदिर में दर्शन के लिए जाते हैं।

कभी बंद नहीं होते मंदिर के कपाट
आमतौर पर मंदिरों के कपाट शाम के समय बंद कर दिए जाते हैं और फिर सुबह एक निर्धारित समय पर कपाट दर्शन के लिए खोले जाते हैं।लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि चेंगलम्मा मंदिर के कपाट कभी बंद नहीं होते, यानि मंदिर का दरवाजा 24 घंटे खुला रहता है। इसके पीछे एक बेहद ही रोचक कहानी छिपी हुई है।

चेंगलम्मा मंदिर से जुड़ी प्राचीन कहानी
प्राचीन कथाओं के अनुसार 10वीं शताब्दी में कुछ गाय चराने वालों ने कलंगी नदी में देवी की मूर्ति तैरते हुए देखी और गांवों को इसकी सूचना दी। इसके बाद गांव के लोग वहां पहुंचे और मूर्ति को बाहर निकालने की कोशिश की।लेकिन मूर्ति को हिलाने में असफल रहे। लेकिन कुछ दिनों बाद ग्रामीणों ने देखा कि मूर्ति सीधी खड़ी है जिसे देखकर उन्हें आश्वर्य हुआ और मूर्ति का मुख दक्षिण की ओर था।

इसके बाद उन्होंने मूर्ति का पूजन किया और पूजन के बाद वह मूर्ति को उठाने में सक्षम थे।मूर्ति को उस स्थान पर स्थापित किया गया जहां आज चेंगलम्मा परमेश्वरी मंदिर है। कहते हैं कि जब ग्रामीण इस मंदिर का निर्माण करवा रहे थे तो उन्होंने मंदिर का दरवाजा बनवाने की कोशिश की और बार-बार असफल हुए।इसके बाद देवी मां ने सपने में दर्शन देकर बताया कि मंदिर का दरवाजा नहीं बनाना चाहिए। उनके निर्देश के बाद इस मंदिर का दरवाजा नहीं बनाया गया और तब से आज तक यह मं​दिर हमेशा खुला रहता है। यहां कभी कपाट बंद नहीं होते।

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