BareillyLive : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्रीय कार्यवाह डॉ. प्रमोद जी ने कहा कि शिक्षा नर को नारायण बनाने की प्रक्रिया है। उन्होंने कहा की प्रवृत्ति के हिसाब से मनुष्य पांच प्रकार के होते हैं पिशाच मनुष्य, नर पशु, सामान्य मनुष्य, नरोत्तम नर और नारायण नर। शिक्षा के माध्यम से अध्यापक अपने छात्रों को नारायण बनने का मार्ग प्रशस्त करते हैं। शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर उत्तिष्ठ भारत द्वारा बरेली कॉलेज के बहुउद्देशीय सभागार में वर्तमान सामाजिक परिदृश्य में शिक्षकों की भूमिका विषय पर आयोजित शिक्षक संगोष्ठी में मुख्यवक्ता डॉ प्रमोद जी ने कहा कि शिक्षक एक साधक की तरह होता है वह सदैव सजग रहता है उसका व्यक्तित्व और कृतित्व छात्र-छात्राओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बनता है विद्यार्थी अपने शिक्षक के जीवन को आदर्श मानते हुए उसी के अनुरूप कार्य एवं व्यवहार करते हैं। हमें ध्यान देना होगा कि हमारी शिक्षा व्यवस्था क्या छात्र-छात्राओं को मूल्य आधारित ज्ञान देने में समर्थ है। शिक्षार्थियों का पंचकोशीय अर्थात प्राण, विज्ञानमय कोश और आनंदमय कोश के माध्यम से सर्वांगीण विकास किया जाए यह सुनिश्चित करना शिक्षकों का प्रथम दायित्व है। उन्होंने कहा कि छात्र-छात्राओं के शैक्षिक और संज्ञानात्मक विकास के साथ-साथ उनके व्यक्तिगत चरित्र, आर्थिक चरित्र और राष्ट्रीय चरित्र का विकास हो इस पर पैनी नजर रखने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा की शिक्षक राष्ट्र निर्माता होते हैं, उनके स्वाभिमान और आत्मसम्मान की रक्षा करना समाज के प्रत्येक वर्ग का दायित्व है। महान वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बसु का जीवन वृतांत सुनाते हुए उन्होंने बताया कि किस प्रकार डॉ बसु ने आत्म सम्मान से समझौता न करके अंग्रेज शिक्षकों की तुलना में कम वेतन स्वीकार नहीं किया और 3 वर्ष तक बिना वेतन के ही कार्य करते रहे। शिक्षकों के सम्मान के बिना समाज का उत्थान संभव नहीं है इसलिए समाज के प्रत्येक वर्ग को शिक्षकों के सम्मान के लिए सदैव तत्पर रहना चाहिए।

कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व उप शिक्षा निदेशक श्रीमती शशि देवी ने की, बरेली में दिव्यांग बच्चो की शिक्षा को ध्यान में रखकर चलने वाले प्रकल्प दिशा विद्यालय की प्रमुख संचालिका श्रीमती पुष्पलता गुप्ता को भी सम्मानित किया गया। इस अवसर पर उतिष्ठ भारत के अध्यक्ष विनय ऋषिवाल, वरिष्ठ क्षेत्र कार्यकारिणी सदस्य कृष्णचंद्र जी, महानगर प्रचारक मयंक साधु, विभाग प्रचारक धर्मेन्द्र भारत, आनंद पाठक, आशुतोष शर्मा, विमल कुमार, पुनीत आलोक खरे, योगेश शर्मा, विशेष भारत आदि की गरिमामई उपस्तिथि रही।

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