विष्णु देव चांडक @BareillyLive, बदायूं। लोकसभा चुनाव 2024 का बिगुल बज चुका है। सभी दल अपने प्रत्याशियों की घोषणा करने लगे हैं। अपने पत्ते सबसे बाद में खोलने वाली भारतीय जनता पार्टी में बदायूं लोकसभा सीट को लेकर चौकाने वाला फैसला होता दीख रहा है। भारतीय जनता पार्टी की केन्द्रीय चुनाव समिति नई रणनीति के तहत राज्यसभा सांसद उझानी निवासी केंद्रीय राज्यमंत्री बीएल वर्मा को बदायूं लोकसभा सीट से प्रत्याशी बना सकती है।
बीती 3 दिसंबर 2023 को राजस्थान और मध्यप्रदेश विधानसभा के बेहतर नतीजे भाजपा केन्द्रीय नेतृत्व की नई रणनीति से सम्भव हुए हैं। वहां भी सांसदों को विधानसभा के चुनाव में उतारकर कामयाब रही है।
ज्ञात रहे कि भारतीय जनता पार्टी की केन्द्रीय चुनाव समिति ने नई रणनीति के तहत जहां मध्यप्रदेश से सांसद व केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद पटेल, फग्गनसिंह फुलस्ते, राकेश सिंह, रीति पाठक, गणेश सिंह, उदय प्रताप सिंह सहित राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को विधानसभा चुनाव में उतारा था और उसके परिणाम भी भाजपा के उम्मीद के मुताबिक रहे थे। वहीं राजस्थान से सांसद राज्यवर्धन राठौर, किरोड़ी लाल मीणा, दीया कुमारी, बाबा बालकनाथ, भागीरथ चौधरी, देवी सिंह पटेल,ओर नरेंद्र कुमार को भी विधानसभा चुनाव लड़ाया था, जिसमें भाजपा को लगभग सही कामयाबी मिल गई थी।
भाजपा के भरोसेमंद सूत्रों का दावा है कि बदायूं लोकसभा से मौजूदा सांसद संघमित्रा मौर्य अपने पिता स्वामी प्रसाद मौर्य के कारण विवादों में रही हैं। इसी कारण उनको दोबारा प्रत्याशी बनाने में भाजपा को खतरा महसूस हो रहा है। वहीं स्थानीय भाजपा नेताओं का कहना है कि एक साल से केंद्रीय राज्य मंत्री वीएल बर्मा की क्षेत्र में सक्रियता भी इसी ओर इशारा कर रही है।
कुछ भाजपा नेताओं का दावा है कि डॉ संघमित्रा मौर्य की क्षेत्र में पकड़ के बावजूद उन्हें टिकट देना विवादों के कारण महंगा पड़ सकता है। अलबत्ता कुछ लोग बिरादरी के मुद्दे पर पार्टी द्वारा उन पर एक बार फिर भरोसा करने की भी सम्भावना जता रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार भाजपा की मौजूदा रणनीति के तहत केन्द्रीय सहकारिता राज्यमंत्री वीएल बर्मा ही भाजपा के उम्मीदवार होंगे। स्थानीय नेताओं का तो यह भी कहना है कि स्थानीय भाजपा नताओं की आपस की लड़ाई के चलते श्री वर्मा को सभी गुटों का समर्थन भी प्राप्त होगा।
इस बीच समाजवादी पार्टी ने धर्मेन्द्र यादव के स्थान पर राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव को प्रत्याशी घोषित किया है। ऐसे में भाजपा कोई रिस्क लेना नहीं चाहती। शिवपाल के मुकाबले के लिए एक निर्विवाद और सर्वसुलभ प्रत्याशी के तौर पर बीएल वर्मा को उतारने का मन बना चुकी है। यदि ऐसा होता है तो मुकाबला कांटे का रहेगा।