प्रयागराज/बरेली। भड़काऊ बयानों के लिए चर्चित और वर्ष 2010 में बरेली में हुए दंगों के मुख्य मास्टरमाइंड मौलाना तौकीर रजा की याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए 27 मार्च तक ट्रायल कोर्ट में आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया है। बता दें कि मौलाना तौकीर के खिलाफ एडीजे, फास्ट ट्रैक कोर्ट (प्रथम) ने 13 मार्च को एनबीडब्ल्यू (NBW) नोटिस जारी कर दिया था।
गिरफ्तारी वारंट को चुनौती देते हुए मौलाना तौकीर की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। इलाहाबाद कोर्ट में मौलाना के अधिवक्ताओं ने उनका पक्ष रखा। इसके विरोध में सरकार की ओर से प्रस्तुत अधिवक्ताओं ने भी हाईकोर्ट में तौकीर रजा के बयानों का जिक्र कर कई साक्ष्य प्रस्तुत किए। दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा की एकल पीठ ने फैसला सुनाते हुए 27 मार्च तक ट्रायल कोर्ट में आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया है।
फास्ट ट्रैक कोर्ट ने माना था 2010 बरेली दंगे का मुख्य मास्टरमाइंड
मामले के अनुसार आईपीसी की गंभीर धाराओं के साथ लोक सम्पत्ति नुकसान निवारण अधिनियम, 1984 की धारा 3 और क्रिमिनल लॉ (अमेंडमेंट) एक्ट, 1932 की धारा 7 के तहत बरेली के प्रेम नगर थाने में वर्ष 2010 में मुकदमा दर्ज किया गया था।
बता दें कि इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल के प्रमुख मौलाना तौकीर रजा की तलाश में पुलिस लगातार दबिश दे रही है। बरेली फास्ट ट्रैक कोर्ट ने 2010 में हुए बरेली दंगों के लिए तौकीर रजा को मुख्य मास्टरमाइण्ड माना है। पिछली सुनवाई में आज 19 मार्च को मौलाना को गिरफ्तार कर पेश करने का आदेश दिया था। तमाम दबिशों के बावजूद मौलाना की गिरफ्तारी अब तक नहीं हो सकी है। इस पर आज कोर्ट ने पहली अप्रैल तक मौलाना को गिरफ्तार करने का आदेश दिया है।