शरद सक्सेना, आंवला। लोकसभा चुनाव 2019 की बिसात बिछ चुकी है और आंवला सीट पर तीसरे चरण में 23 अप्रैल को मतदान होना है। सभी राजनीतिक दल मतदाताओं को लुभाने और रूठों को मनाने का हरसंभव प्रसास कर रहे हैं। सभी के अपने-अपने दावे और वायदे हैं। फिलहाल जो तस्वीर उभर कर आई है उससे यहां त्रिकोणीय संघर्ष के आसार नजर आ रहे हैं।
सभी उम्मीदवार किसी न किसी माध्यम से हर मतदाता तक अपनी बात पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं। चुनाव आयोग की सख्ती के चलते शोर-शराब तो नहीं हैं पर सघन जनसंपर्क जारी है। केंद्रीय नेतृत्व के निर्देशानुसार भाजपा संगठन हर बूथ को मजबूत करने में जुटा है, बैठकों का दौर जारी है जिसमें प्रत्य़ाशी धर्मेंद्र कश्यप की चुनाव प्रबंधन की रणनीति को अंतिम रूप दिया जा रहा है। वहीं आरएसएस भी समन्वय बैठकों के द्वारा अपने आनुषांगिक संठगनों को कसने व चुनाव में किसी भी प्रकार की कोई ढिलाई बरतने के मूड में नहीं दिख रहा है। सिटिंग सांसद होने के नाते उनके सामने चुनौती ज्यादा है क्योंकि विकास कार्यों को लेकर आम मतदाताओं के सवालों के जवाब देना पड़ रहा है। दूसरी ओर संगठन उनकी सबसे बड़ी ताकत है।
बिजनौर की पूर्व विधायक व आंवला से बसपा (महागठबंधन) की प्रत्याशी रुचि वीरा भी जीत के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहतीं। यहीं कारण है कि अपने नाम पर मुहर लगते ही उन्होंने आंवला में डेरा डाल दिया और आंवला से बरेली तक रात-दिन एक किए हुए हैं। उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती बसपा संगठन को सक्रिय करने और सपाइयों को अपने साथ जोड़ने की है। फिलहला वह अपने संसाधनों के बल पर चुनाव प्रबंधन को पटरी पर लाने में जुटी हैं। सपा-बसपा का संयुक बैंक उनका सबसे बड़ा भरोसा है।
आंवला से तीन बार सांसद रह चुके कुंवर सर्वराज सिंह इस बार कांग्रेस के पंजे के साथ मैदान में हैं। इस ठाकुल बाहुल्य क्षेत्र में उनकी अच्छी पकड़ मानी जाती है। उनके पुत्र व पूर्व में विधानसभा प्रत्याशी कुंवर सिद्धराज सिंह भी अपने पिता को विजयश्री दिलाने के लिए जी-जान से जुटे हैं। बसपा की तरह कांग्रेस के सामने भी सबसे बड़ी चुनौती संगठन में जान फूंकने की है। हालांकि 6 चुनाव लड चुके व तीन चुनावों में विजयी रहे कुंवर सर्वराज सिंह का अपना खास वोट बैंक है जो हमेशा उनके साथ रहता है। क्षत्रिय वोटे के अलावा मुस्लिम मतदाताओं में भी उनकी मजबूत पकड़ मानी जाती है। फिलहाल तो भाजपा प्रत्याशी धर्मेंद्र कश्यप व उनके बीच चल रहा वाकयुद्ध चर्चा में है।