Cabinet Formation @#Modi3.0 : केन्द्र में एक बार फिर मोदी सरकार बन गयी। 18वीं लोकसभा के चुनाव के बाद आज रविवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लगातार तीसरी बार पद एवं गोपनीयता की शपथ ग्रहण की। उन्हें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शपथ दिलायी। इसी के साथ अनेक कैबिनेट और राज्यमंत्रियों ने भी शपथ ग्रहण की।
क्या आप जानते हैं कि किसी भी सरकार में मंत्रियों की संख्या किस नियम के आधार पर तय होती है? नियम के अनुसार कैबिनेट में मंत्रियों की संख्या कम तो हो सकती है लेकिन ज्यादा नहीं। सरकार में मंत्री भी तीन तरह से नियुक्त होते हैं.. 1-कैबिनेट मंत्री, 12-राज्यमंत्री और 3-राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार)। आइये आपको बताते हैं कि मंत्रिमण्डल का गठन कैसे किया जाता है?
कैसे होता है मंत्रिमण्डल का गठन (How is the cabinet formed)
18वीं लोकसभा के लिए 543 सीटों पर चुनाव हुआ। नियम के हिसाब से चुने गए सदस्यों की संख्या का 15 फीसद ही मंत्रियों का संख्याबल हो सकता है। इस हिसाब से मोदी सरकार में मंत्रियों की अधिकतम संख्या 81-82 हो सकती है।
केंद्र सरकार के मंत्रिमंडल के गठन का प्रावधान भारतीय संविधान के अनुच्छेद 74, 75 और 77 में वर्णित है। अनुच्छेद 74 के अनुसार राष्ट्रपति की सलाह पर प्रधानमंत्री मंत्रिपरिषद को अंतिम रूप देते हैं। मंत्रिमंडल के मुखिया के तौर पर प्रधानमंत्री राष्ट्रपति को सलाह देते हैं कि किस जीते हुए उम्मीदवार को मंत्री बनाया जाए। प्रधानमंत्री और मंत्री पदभार ग्रहण करने से पहले राष्ट्रपति द्वारा शपथ लेते हैं।
मंत्रिमंडल के सदस्य
प्रधानमंत्री के अलावा मंत्रिमंडल में तीन स्तर के मंत्री होते हैं जिनमें कैबिनेट मंत्री, राज्य मंत्री और राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) शामिल हैं।
कैबिनेट मंत्रीः ये मंत्रिमंडल के सबसे वरिष्ठ सदस्य होते हैं और इनके पास महत्वपूर्ण मंत्रालयों का प्रभार होता है।
राज्यमंत्रीः ये कैबिनेट मंत्रियों के सहायक होते हैं और इनके पास कम महत्वपूर्ण मंत्रालयों का प्रभार होता है।
राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार): ये राज्य मंत्रियों के समान होते हैं, लेकिन इनके पास स्वतंत्र रूप से कार्य करने का अधिकार होता है और वे सीधे प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करते हैं।
मंत्रिमंडल की जिम्मेदारियां (Responsibilities of the cabinet)
मंत्रिमंडल सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति जवाबदेह होता है। यह सरकार की नीतियां बनाता है और उनका क्रियान्वयन करता है। मंत्रिमंडल ही कानूनों का प्रस्ताव करता है और संसद द्वारा पारित कानूनों को लागू करता है। यह देश के प्रशासन का प्रबंधन करता है और राष्ट्रपति को सलाह देता है।
मंत्रिमंडल का कार्यकाल (Tenure of the cabinet)
मंत्रिमंडल का कार्यकाल आमतौर पर लोकसभा के पांच वर्ष के कार्यकाल के बराबर होता है। यदि लोकसभा भंग हो जाती है, तो मंत्रिमंडल भी भंग हो जाता है। प्रधानमंत्री लोकसभा में बहुमत बनाए रखने में विफल होने पर भी राष्ट्रपति द्वारा बर्खास्त किए जा सकते हैं।