नई दिल्‍ली। अयोध्या के श्रीराम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन मामले में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ में  28वें दिन की सुनवाई में मुस्लिम पक्षकार राजीव धवन ने बाबरनामा के अलग-अलग संस्करणों और अनुवाद के अंश पढ़े। इसके जरिये दलील दी कि विवादित संरचना पर अरबी और फारसी शिलालेख में अल्लाह लिखा था। साथ ही इसके जरिये यह साबित करने की कोशिश की गई कि यह मस्जिद बाबर ने ही बनवाई थी।

राजीव धवन ने कहा कि जन्मभूमि को न्यायिक व्यक्ति बनाने के पीछे का मकसद यह है कि भूमि को कहीं शिफ्ट नहीं किया जा सकता है।  भगवान विष्‍णु स्‍वयंभू हैं और इसके सबूत मौजूद हैं। भगवान राम के स्‍वयंभू होने पर यह दलील दी जा रही है कि रात में भगवान राम किसी के ख्वाब में आये और उसको बताया कि उनका सही जन्मस्थान किस जगह पर है, क्या इस पर विश्वास किया जा सकता है?

इसके साथ ही अयोध्या मामले में शुक्रवार की सुनवाई पूरी हुई। अब मामले की अगली सुनवाई सोमवार को होगी। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट मामले की एक घंटे ज़्यादा सुनवाई करेगा। सोमवार को चार नवनियुक्त जजों को शपथ लेनी है इसलिए सुनवाई थोड़ी देर से शुरू होगी।

संविधान पीठ अयोध्या में विवादित 2.77 एकड़ भूमि सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला के बीच बराबर बराबर बांटने संबंधी इलाहाबाद हाईकोर्ट के सितंबर 2010 के फैसले के खिलाफ दायर अपीलों पर छह अगस्त से रोजाना सुनवाई कर रही है। शीर्ष अदालत ने इस प्रकरण की सुनवाई 18 अक्टूबर तक पूरी करने का निश्चय किया है ताकि उसे करीब चार सप्ताह का समय फैसला लिखने के लिए मिल जाए। शीर्ष न्यायालय का यह निर्णय इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई 17 नवंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। ऐसी स्थिति में 130 साल से भी अधिक पुराने इस विवाद में नवंबर के मध्य तक सुप्रीम कोर्ट का सुविचारित निर्णय आ जाने की उम्मीद है।

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