a young man committed suicide under depression due to pressure of studies

भमोरा (बरेली)। वह एक होनहार बेटा था। नौ भाई-बहनों में तीसरे नम्बर का था सुनील। पहले उसने बीटेक किया लेकिन बैक आयी तो बीकॉम करने लगा। किसी कारण से फिर फाइनल की परीक्षा छूट गयी तो वह बुरी तरह अवसाद में घिर गया। मां से बोला मेरी पड़ाई बेकार हो गई, मैं मर जाऊंगा और जाकर ट्रेन से कट गया। उसकी मौत से परिवार ही नहीं पूरे गांव में मातम पसर गया।

यह दर्द भरी हकीकत भमोरा क्षेत्र के गांव खुली निवासी सरस्वती देवी के 23 साल के बेटे सुनील की है। सरस्वती देवी के पति राम सिंह की पांच साल पहले मृत्यु हो गयी थी। उसके बाद सरस्वती ने आंगनबाड़ी कार्यकत्री की नौकरी करते हुए अपने सभी 9 बच्चों को पढ़ाया-लिखाया। दो बड़े बेटे राजू व गुडडू के बाद चार बेटियों की शादी की।

तीसरे बेटे सुनील (उम्र 25वर्ष) इण्टर के बाद बरेली एक निजी कालेज से बीटेक करने लगा। फाईनल में बैक आने के बाद मन बदला तो बीकॉम करने लगा। बीकॉक के दो साल बाद पढ़ाई के दबाव के चलते डिप्रेशन में आ गया। परिणाम यह हुआ कि फाईनल का पेपर नहीं दे सका।

सुनील का एक मस्तिष्क चिकित्सक से इलाज भी चल रहा था। शुक्रवार सुबह मां से बोला – मेरी पढ़ाई बेकार हो गई, मैं मर जाऊंगा। मां ने कहा कोई बात नहीं बेटा, हम तुम्हें कम्पयूटर कोर्स करा देंगे। इसके बाद मां पोलियो की दवा पिलाने चली गई। फिर सुनील गांव के किनारे से गुजर रही रेलवे लाइन के किनारे-किनारे गांव से 1 किलोमीटर दूर चला गया।

सुबह 11 बजे गुजरने वाली बरेली-कासगंज पैसेन्जर ट्रेन के आगे कूद गया। उसकी तत्काल मौत हो गयी। युवक के ट्रेन से कटते ही चालक ने ट्रेन को करतोली हाल्ट पर रख घटपुरी स्टेशन पर मेमो दिया। घटपुरी स्टेशन अधीक्षक एएन सिददकी ने पहले थाना बिनाबर के बाद फिर थाना भमोरा को सूचना की। तब तक ग्रामीणों की सूचना पर परिवार के लोग करतोली पंहुच गये थे। उन्होंने भी शिनाख्त कर पुलिस को सूचना दी। भमोरा पुलिस ने मौके पर पहुंचकर शव का पंचनामा भर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।

सुनील की मौत से परिवार में कोहराम मच गया। मां और अन्य परिजन का रो-रोकर बुरा हाल था। वहीं एक होनहार युवा की मौत से पूरे गांव में मातम पसर गया।

By vandna

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