Bareillylive : साहित्य सुरभि संस्था के संस्थापक व अध्यक्ष राम मूर्ति गौतम गगन जी का लंबी बीमारी के चलते मढ़ीनाथ स्थित आवास पर 86 वर्ष की आयु में निधन हो गया। राम मूर्ति गौतम गगन के पिता का नाम पुजारी पंडित गेंदालाल गौतम व माता का नाम चन्द्र प्रभा गौतम था। उनकी पत्नी का नाम करुणा कुमारी गौतम था। गगन का जन्म 22 जुलाई 1938 को ग्राम नगलापोस्ट जलेसर रोड मथुरा में हुआ था। गौतम गगन ने इंटर तक शिक्षा ग्रहण की। गौतम गगन बरेली करुणाकुंज प्रल्हाद नगर मढ़ीनाथ रोड पर रह रहे थे। वह पूर्वोत्तर रेलवे में वाणिज्य अधीक्षक के पद पर तैनात रहे। वह इज्जतदार मंडल से सेवानिवृत हुए। गौतम गगन ने गीत, ग़ज़ल, दोहा, कुंडलियां, कविता आदि पर काम किया है। राम मूर्ति गौतम गगन की सद्गुरु चालीसा, वसंत के आंसू, युगनिनाद, मधुगंध, मुक्तावली, गीत गगन के आदि पुस्तक प्रकाशित हो चुकी हैं राम मूर्ति गौतम गगन आकाशवाणी रामपुर बरेली आकाशवाणी, बरेली दूरदर्शन में भी अनेक बार काव्य पाठ कर चुके हैं। राम मूर्ति गौतम की दो बेटियां है जो आगरा में निवास कर रही हैं। यहां पर वह अकेले रह रहे थे। राममूर्ति गौतम गगन साहित्यिक संस्था साहित्य सुरभि के संस्थापक भी थे।

गगन ने अपनी संस्था के माध्यम से काव्य गोष्ठियों में नवीन व युवा प्रतिभाशाली कवियों को मंच प्रदान किये है। सन 1994 से उनकी संस्था कार्य कर रही है महीने के तीसरे रविवार को उनकी काव्य गोष्ठी होती है अब तक लगभग 369 काव्य गोष्ठी करने का श्रेय इसको मिल चुका है। उनके निधन पर रोहित राकेश, उपेंद्र सक्सेना, रामकुमार कोली, डॉ राजेश शर्मा ककरेली, विजेंद्र कंचन, समीक्षा ठाकुर, रणधीर प्रसाद गौड़ आदि ने अपनी संवेदना व्यक्त की।

सप्ताह भर पहले स्वास्थ्य अचानक काफी बिगड़ने पर एक साहित्यिक मित्र ने उन्हें मिशन हॉस्पिटल में भर्ती कराया था। आईआईसीयू में डॉक्टरों की सघन निगरानी में इलाज चल ही रहा था कि आगरा से आए धेवते के आग्रह पर उन्हें आगरा मेडिकल कॉलेज ले जाया गया।‌ आगरा में इलाज से हालत में काफी सुधार दिखने पर दो दिन पहले ही वहां से डिस्चार्ज करवाकर बरेली लाया गया था। बीती रात अचानक उनके प्राण पखेरू उड़ गए। उनके निधन से बरेली का साहित्य जगत निस्तब्ध और हक्का-बक्का सा होकर रह गया है।

सोशल मीडिया पर पूरे दिन शोक संवेदनाओं और श्रद्धांजलियों का तांता लगा रहा।

गौतम गगन की ताज़ा रचना

वृद्धावस्था/उपेक्षित जीवन******////******(गीत)

अपने ही घर में लगते हैं, बेचारे अनजाने- से। कभी जले हम दीपक बनकर, कभी जले परवाने-से।। आंसू से सींचे विरवा भी, अब तो आग उगलते हैं। अभिलाषा के तृषित अधर पर, घायल राग मचलते हैं।। मधुमांसी पथ पर अंगारे मानवता के झुलसे पग, वर्तमान के निर्जन मधुवन, कुसुम कली मुरझाने से ।।१।। अतीत के रिसते घावों में,जब उठती है टीस घनी। द्रवित हृदय आंखों में झरना, जैसे कोई आन ठनी।। भावों का उन्माद उमड़ता, जैसे पूनम का सागर, ज्वार नहीं थमते पीड़ा के, अविरल अश्रु बहाने से ।।२ तोल रहे पर्वत को तिनके, सागर सोख रहीं नदियां। नाच रही निर्वसन संस्कृति, बोली उधेड़तीं बखियां।। फूल नोंचते पर तितली के, पा पराग मदहोश भ्रमर, रवि को ढक इतराती बदरी, आजादी पा जाने से ।।३।। सपनों का संसार सिमटता, धुंधलाई जीवन रेखा। ऋतुओं का निर्मम रुखापन, हर उत्सव रोता देखा।। झांक रही झुरमुट से सहमी, जिज्ञासा की नई किरन, विश्वासों को छला गया है, अतिशय प्रीति बढ़ाने से ।।

मानव सेवा क्लब ने भी दी श्रद्धांजलि

मानव सेवा क्लब ने साहित्यिक संस्था सुरभि के संस्थापक वरिष्ठ साहित्यकार राम मूर्ति गौतम ‘गगन’ के निधन पर एक शोक सभा क्लब के कहरवान स्थित कार्यालय पर की। जिसमें शहर के 90 वर्षीय वरिष्ठ साहित्यकार राममूर्ति गौतम गगन के निधन पर दो मिनट का मौन रखकर दिवंगत आत्मा की शान्ति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की गई। क्लब के अध्यक्ष सुरेन्द्र बीनू सिन्हा ने गगन जी को रचनात्मक प्रतिभा का धनी बताते हुए कहा कि उनकी रचनाओं के संग्रह एवं पुस्तकों ने हमेशा ही आत्मिक संतुष्टि प्रदान की है। हम सबके लिए ये साहित्यिक रिक्ति हमेशा अखरेगी। सभा में मुकेश सक्सेना, सुनील शर्मा, सुरेश बाबू ,रणधीर प्रसाद गौड़, किरन प्रजापति आदि लोग मौजूद रहे।

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