नई दिल्ली। फिरोज बख्त अहमद और जमीरुद्दीन शाह जैसे मुस्लिम बुद्धिजीवियों के एक समूह ने जम्मू-कश्मीर को भारत का अभिन्न हिस्सा बताते हुए कहा है कि राष्ट्रीय हित सर्वोपरि है। साथ ही कश्मीर में सुरक्षा से जुड़ी पाबंदियां धीरे-धीरे हटाने का आह्वान किया है।
“इंडिया
फर्स्ट” नामक इस समूह
के संयोजक ख्वाजा इफ्तिखार अहमद ने बुधवार को यहां संवाददाताओं से कहा, “हमने फैसला किया है कि हम लोगों को राष्ट्रीय
हित में बात करनी चाहिए और संवाद के रास्ते भी खोलने चाहिए।” उन्होंने
कहा, “हमने मानवीय मुद्दे उठाए हैं कि लोगों को खाना
मिलना चाहिए, जीविका का मौका मिलना चाहिए, चिकित्सा
सुविधाएं मिलनी चाहिए। सरकार को भी इन मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए और हम भी इस पर
ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं।“ अहमद ने कहा कि “पाबंदियां धीरे-धीरे हटनी चाहिए और कश्मीरी
लोगों के साथ हर स्तर पर संवाद होना चाहिए।”
जम्मू-कश्मीर में स्थिति सामान्य बनाने
से जुड़े प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के बयानों का हवाला
देते हुए समूह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा
है और इस पर कोई समझौता नहीं हो सकता।
“इंडिया फर्स्ट” ने
जम्मू-कश्मीर को लेकर साझा बयान भी जारी
किया जिस पर मुस्लिम समुदाय से जुड़े कई प्रमुख लोगों ने हस्ताक्षर किए हैं। समूह के अनुसार, इस
बयान पर मौलाना आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय के कुलाधिपति फिरोज बख्त अहमद, अलीगढ़
मुस्लिम विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति जमीरुद्दीन शाह, पूर्व
राष्ट्रपति फखरूद्दीन अहमद के पुत्र परवेज अहमद आदि ने हस्ताक्षर किए हैं।