नयी दिल्ली। वक्री होने के चार माह बाद 2 अगस्त से शनिदेव फिर मार्गी हो जाएंगे और अपने भक्तों को कष्टों से मुक्ति दिलायेंगे। अभी तक साढ़े साती और अड़ैया वाली राशि के जातकों के लिए शनिदेव कष्ट दे रहे थे, अब उनके के लिए शुभ फल देंगे।
ज्योतिषियों के अनुसार 31 मार्च से सूर्य पुत्र शनिदेव वक्री हो गए थे और रविवार 2 अगस्त रात वे एक बार फिर मार्गी हो जाएंगे। वक्री के दौरान वे ग्रह राशि से दूसरी राशि में परिवर्तन करते हैं। जब ग्रह अगली राशि की ओर न बढ़कर पीछे की ओर जाते हैं, तो इस अवस्था को वक्री कहा जाता है।
इस बीच टेढ़ा चलने के कारण विशेष राशि के लोगों के लिए परेशान एवं कष्ट देते हैं। वक्री होने से पिछले चार माह की अवधि में वृश्चिक, तुला और धनु राशि के लोगों पर साढ़े साती चल रही थी, जबकि मेष एवं सिंह राशि पर अड़ैया चल रहा था। शनि की दशा के कारण इस राशि के जातक रोग, जबरन विवाद में फंसने, तनाव एवं पैसों को लेकर परेशान चल रहे थे।
शनि के मार्गी होने से इन जातकों की राशि से शनि तो नहीं उतरेंगे, लेकिन शनि सीधे चलेंगे और चार माह से प्रभावित लोगों के कष्ट में कमी आएगी और शुभ फल मिलने लगेंगे। ज्वलनशील पदार्थों में आएगा उतार-चढ़ाव शनिदेव के मार्गी होने से ज्वलनशील पदार्थों से जुड़े व्यापार में उतार-चढ़ाव आएगा, जिससे आम लोगों को फायदा होगा। न्याय क्षेत्र का असर बढ़ेगा।
शनिदेव न्यायप्रिय देवता हैं और इस वर्ष दोषियों को दंडित करेंगे। अशुभ प्रभाव को समाप्त करने के लिए जप, व्रत और दान करें। इससे गृह क्लेश में कमी, शिक्षा में उन्नति, रुके हुए धन की प्राप्ति होगी। सागर में अच्छी बारिश के योग सागर जिले के स्वामी और साल के राजा भी इस बार शनिदेव ही हैं, जिससे वे सागर के लिए लाभकारी होंगे। इस दौरान बुंदेलखंड क्षेत्र में अच्छी बारिश के योग बन रहे हैं। खेती-किसानी के लिए पर्याप्त पानी मिलेगा, जिससे खुशहाली आएगी।
राजनीतिक उथल-पुथल चल रही थी, जो अब शांत हो जाएगी और पूर्व की तरह सब कुछ ठीक हो जाएगा। इस कारण जिले के कुछ नेताओं के भाग्य भी खुल सकते हैं। आंधी-तूफान भी शांत रहेंगे। शनिदेव के मार्गी होने के साथ ही देवता सो जाते हैं, जिससे शुभ कार्य पूरी तरह बंद हो जाते हैं। गन्ना ग्यारस को देवताओं के उठने के बाद एक बार फिर शुभ कार्य शुरू होंगे।