खस का एन्टीऑक्सिडेंट, एन्टी-इंफ्लैमटोरी गुण और उच्च मात्रा में लिनोलेनिक एसिड त्वचा के संक्रमण से राहत दिलाने मददगार साबित होता है। खस का प्रभाव ठंडा होने के कारण इसका सेवन गर्मी के मौसम में करना ही फायदेमंद होता है। सर्दी के मौसम या मानसून में खस के सेवन से बचना चाहिए । गरमी के दिनों में खस से शरबत बनाया जाता है जिससे शरीर को ठंडक मिलती है।
आयुर्वेद के अनुसार खस के गुण –
खस का रस मीठा, कडुवा, तिखा, गुण में रूखा होता है।इसकी प्रकृति शीतल होती है। खस के प्रयोग से शरीर की जलन व प्यास शांत होती है। बुखार होने, उल्टी आने, खून की खराबी, दस्त रोग, हृदय के रोग, त्वचा रोग एवं बच्चों के रोग आदि को दूर करने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है।
मात्रा: इसके जड़ का चूर्ण 2 से 6 ग्राम की मात्रा में और रस 10 से 40 मिलीलीटर की मात्रा में प्रयोग किया जाता है।
खस से विभिन्न रोगों का घरेलु उपचार –
जलन: शरीर के किसी भी भाग में जलन होने पर सफेद चन्दन और खस की जड़ को बराबर मात्रा लेकर पीस लें और तैयार लेप को जलन वाले भाग पर लगाएं। इससे जलन शांत होती है। इसका प्रयोग आग से जल जाने पर भी किया जाता है।
बुखार(fever): खस की जड़ का काढ़ा बनाकर 4-4 चम्मच की मात्रा में दिन में 3 बार पीने से बुखार ठीक होता है। इसके सेवन से अधिक पसीना आता है और पसीने के साथ बुखार भी ठीक हो जाता है।
बच्चों का दस्त(loosemotions ): यदि बच्चे को बार-बार दस्त आ रहा हो तो खस के चूर्ण और मिश्री बराबर मात्रा में लेकर पीस लें और आधा चम्मच की मात्रा में दिन में 3 बार सेवन कराएं। इससे दस्त रोग ठीक होता है।
त्वचा रोग :गर्मी के मौसम में होने वाले त्वचा रोगों में खस का शर्बत बनाकर रोजाना पीना चाहिए। इससे त्वचा रोग ठीक होता है। यह इन्फैक्शन (संक्रमण) से होने वाले त्वचा रोग और बच्चों के त्वचा पर होने वाले फोड़े-फुन्सियां भी ठीक होती है।
पसीना अधिक आना : खस की जड़, कमल के पत्ते और लोध्र की छाल को बराबर मात्रा में लें और पीसकर लेप बना लें।इस लेप को शरीर पर मलने से गर्मी के दिनों में अधिक पसीना आना कम होता है।
घमौरियां: 20 ग्राम खस को पानी के साथ पीसकर त्वचा पर लगाने से और 2 चम्मच खस का शर्बत 1 कप पानी में मिलाकर दिन में 2-3 बार पीने से घमौरियां नष्ट होती है।
साइटिका (sciatica): साइटिका के दर्द से पीड़ित रोगी को खस का काढ़ा बनाकर प्रतिदिन सेवन करना चाहिए। इसके सेवन से साइटिका का दर्द में आराम मिलता है। सिर्फ गर्मी के मौसम में
गले का दर्द(throat pain) : खस का काढ़ा बनाकर गरारे करने से गले का दर्द समाप्त होता है और आवाज भी साफ होता है।
सिर की रूसी : खस को दूध या पानी में मिलाकर बालों में मालिश करने से रूसी कम होती है।
चोट :• चोट लगने, मोच आने, सूजन आने या कहीं छिल जाने पर खस का काढ़ा बनाकर उस स्थान को सेंकने से लाभ मिलता है। चोट या मोच के दर्द में खस के दाने को पीसकर लेप बनाकर लगाने से दर्द में आराम मिलता है।
घाव – यदि किसी को घाव हो गया हो तो खस, कुन्दरू का तेल और सफेद मोम को हल्के आग पर पिघलाकर व छानकर घाव पर लगाना चाहिए। इससे घाव जल्दी ठीक होता है। खस, लोहबान का तेल और सफेद मोम मिलाकर हल्की आग पर पिघलाकर मलहम बना लें और इस मलहम को घाव पर लगाएं। इससे घाव सूख जाते हैं।
छींके अधिक आना: यदि छींक अधिक आती हो तो 12 ग्राम खस को 120 मिलीलीटर पानी में मिलाकर उबलना चाहिए और उससे निकलने वाले भाप को नाक से अन्दर खींचना चाहिए। इससे छींक का अधिक आना बंद होता है।
पेट का दर्द : खस और पीपरा की जड़ को मिलाकर खाने से पेट का दर्द ठीक होता है।
त्वचा की देखभाल – खस का तेल त्वचा को मॉइस्चराइज करता है और डिहाइड्रेशन से बचाता है। यह त्वचा पर ठंडक और ताजगी प्रदान करता है।
तनाव कम करने के लिए – खस का तेल सुगंधित होता है और इसे अरोमाथेरेपी में उपयोग किया जाता है। यह मन को शांत करता है और अनिद्रा में मदद करता है।
शरीर को ठंडक प्रदान करना – खस की जड़ से बने पानी का उपयोग गर्मी के मौसम में शरीर को ठंडा रखने के लिए किया जाता है। इसे शरबत और पेय पदार्थों में मिलाया जाता है।
डाइजेशन सुधारने में मददगार – खस का सेवन पाचन को बेहतर करता है और पेट की समस्याओं में आराम देता है।
मूत्रवर्धक गुण – खस का उपयोग मूत्र संबंधी समस्याओं को ठीक करने के लिए किया जाता है।
तनाव और चिंता में कमी – खस के तेल में प्राकृतिक रूप से शांत करने वाले गुण होते हैं, जो तनाव, अवसाद और मानसिक थकान को कम करते हैं।
रक्त परिसंचरण में सुधार – खस का तेल शरीर के रक्त परिसंचरण को बढ़ाने में मदद करता है।
डिटॉक्सिफिकेशन – यह शरीर को विषाक्त पदार्थों से मुक्त करने में मदद करता है।
शरीर की गंध को नियंत्रित करना –
खस के अर्क का उपयोग इत्र और डिओडरेंट में किया जाता है।
जलन और सूजन को कम करना – यह सूजन और खुजली को शांत करने के लिए उपयोगी है।
उपयोग के तरीके
- खस की जड़ से पानी का अर्क निकालकर पेय पदार्थ तैयार किया जा सकता है।
- खस के तेल को मालिश के लिए उपयोग किया जा सकता है।
- अरोमाथेरेपी में इसे डिफ्यूजर में डालकर उपयोग किया जाता है।