बरेली। आनंद आश्रम में रविवार को श्रीमद् देवी भागवत कथा का शुभारम्भ हो गया। कथावाचक दीदी पुष्पांजलि के कथा कौशल से श्रोता भाव-विभोर हो गये। उन्होंने आज प्रथम दिन माता शैलपुत्री की महिमा का बखान किया। कथा के शुभारम्भ से पूर्व कलश यात्रा निकाली गयी।
कथा कहते हुए दीदी पुष्पांजलि ने कहा कि सम्पूर्ण जगत मातेश्वरी की रचना है जिसका पहला स्वरूप मां शैलपुत्री के रूप में है। माता शैलपुत्री पूर्व जन्म में प्रजापति दक्षराज की कन्या थीं और उनका नाम सती था। एक बार दक्षराज ने यज्ञ मे शिवजी को न बुलाकर उनका अपमान किया जिससे क्रोधित होकर सती ने उसी यज्ञ वेदी में आत्मदाह कर लिया। अगले जन्म में देवी सती ने शैलराज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म लिया और शैलपुत्री के नाम से जानी गयीं। पार्वती उनका ही उपनाम है।
मां शैलपुत्री के दिव्य रूप का वर्णन करते हुए दीदी पुष्पांजलि ने बताया कि माता के एक हाथ मे त्रिशूल और दूसरे में कमल पुष्प होता है। त्रिशूल जहां पापियों के विनाश का द्योतक है, वहीं कमल पुष्प ज्ञान और शांति का प्रतीक है।
माता कहती हैं-
कोई आयु से बड़ा, तो कोई शरीर से बड़ा।
पर जो ज्ञान से बड़ा, वो ही सबसे बड़ा।।
देवी भागवत कहती है कि यदि मुक्ति पानी है तो मातेश्वरी का ध्यान करो। भगवान श्रीराम ने स्वयं रामेश्वरम की स्थापना के समय वहां देवी भागवत की कथा सुनी थी। दीदी पुष्पांजलि ने अनेक भजन भी सुनाये।
एक प्रसंग का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि एक बार महिषासुर दैत्य ने जब स्वर्ग में उत्पात मचाया तो देवताओं ने मां की आराधना की। माँ ने अपने दुर्गा रूप के पूर्ण स्वरूप में प्रकट होकर उसका संहार किया तबसे मां को महिषासुर मर्दिनी के नाम से भी जाना जाता है।
इससे पूर्व कार्यक्रम की शुरुआत कलश यात्रा से हुई। यह कलश यात्रा अग्रसेन पार्क से प्रारंभ होकर कार्यक्रम स्थल तक आयी। कथा में मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश सरकार में जल शक्ति राज्य मंत्री बलदेव सिंह ओलख रहे। साथ ही नबाबगंज विधायक केसरसिंह गंगवार, शहर विधायक डॉ अरुण कुमार भी उपस्थित रहे। कथा से पहले कलश यात्रा का शुभारंभ केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार ने किया। अंत मे कार्यक्रम संयोजक मनीष अग्रवाल ने सभी अतिथियों एवं श्रोताओं को धन्यवाद दिया। कथा उपरांत सभी ने सामूहिक फलहार किया।