नई दिल्‍ली। सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को जम्‍मू-कश्‍मीर से धारा 370 को हटाए जाने के केंद्र के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई की गई। शीर्ष अदालत ने इन याचिकाओं पर जवाब देने के लिए केंद्र को 28 दिनों का समय दिया है। मामले की अगली सुनवाई 14 नवंबर को होगी। घाटी में लागू प्रतिबंधों पर 16 अक्‍टूबर को सुनवाई की जाएगी।

इस मामले में जो याचिकाएं दो सप्ताह पुरानी नहीं हैं उन्‍हें सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। साथ ही कहा कि अब नई याचिकाएं स्‍वीकार नहीं की जाएंगी। गौरतलब है कि बीते 5 अगस्‍त को केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाली धारा 370 को हटा दिया था जिसके बाद इसकी संवैधानिकता पर सवाल उठाते हुए कई याचिकाएं दायर की गईं।

न्यायमूर्ति एनवी रमना की अध्‍यक्षता वाली पांच जजों की पीठ ने केंद्र और जम्‍मू-कश्‍मीर प्रशासन को धारा 370 को चुनौती देने वाली याचिकाओं के खिलाफ हलफनामा दायर करने की अनुमति दी। पीठ ने कहा, “केंद्र और जम्‍मू-कश्‍मीर प्रशासन को याचिकाओं का जवाब देने की अनुमति दी है नहीं तो हम मामले में फैसला नहीं कर सकेंगे।”  पीठ में न्यायमूर्ति एसके कौल, आर. सुभाष रेड्डी, बीआर गवई और सूर्यकांत शामिल हैं।

पीठ ने रजिस्‍ट्रार सूर्य प्रताप सिंह से कहा कि मामले में लंबित याचिकाओं की जांच कर सूचित करें। जब कुछ वकीलों की ओर से मामले में हस्‍तक्षेप की बात कही गई तब पीठ ने कहा, “यदि हर कोई याचिका दायर करना चाहेगा तो एक लाख याचिकाएं हो जाएंगी। इसलिए ऐसा न करें। इससे बिना मतलब मामले में देरी होगी।”

केंद्र के इस निर्णय के खिलाफ पहली याचिका डालने वाले वकील एमएल शर्मा की भी पीठ ने खिंचाई की। पीठ ने कहा कि एमएल शर्मा की याचिका में कुछ नहीं था और यह आधारहीन थी। पीठ ने कहा, “आपने फास्‍टेस्‍ट फिंगर फर्स्‍ट खेला। इसका मतलब यह नहीं की पहले आपकी सुनवाई होगी। आपकी याचिका में तथ्‍यों का अभाव है। केंद्र के निर्णय के 72 घंटों के भीतर आपने याचिका दाखिल कर दी इसका मतलब यह नहीं कि आपको पहले सुना जाएगा।”

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