नई दिल्ली। राफेल युद्धक विमान सौदा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केंद्र सरकार को बड़ा झटका देते उसकी उस आपत्ति को खारिज कर दिया है जिसमें गोपनीय दस्तावेजों के आधार पर पुनर्विचार याचिका खारिज करने की मांग की गई थी। कोर्ट के अनुसार गोपनीय दस्तावेज के आधार पर आगे पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई जारी रहेगी। केंद्र सरकार सरकार ने गोपनीय दस्तावेज के आधार पर पुनर्विचार याचिका खारिज करने की मांग की थी।

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने  14 मार्च को केंद्र सरकार की शुरुआती आपत्तियों (गोपनीयता, विशेषाधिकार, राष्ट्रीय सुरक्षा) पर आदेश सुरक्षित रख लिया था। इससे पहले केंद्र सरकार ने नया हलफनामा दाखिल कर कहा था कि केंद्र सरकार की मंजूरी के बिना संवेदनशील दस्तावेजों की फोटोकॉपी की गई। इन दस्तावेजों की अनधिकृत फोटोकॉपी के जरिये की गई चोरी ने देश की सुरक्षा, सम्प्रभुता और दूसरे देशों के साथ दोस्ताना संबंधों को बुरी तरह प्रभावित किया है। केंद्र ने कहा था कि पुनर्विचार याचिका के साथ संलग्न दस्तावेज युद्धक विमान की युद्ध क्षमता से जुड़े हैं।

केंद्र सरकार ने कहा था कि याचिकाकर्ताओं ने बेहद गोपीनाय जानकारी को लीक किया है। रक्षा मंत्रालय ने आगे हलफनामे में कहा था कि राफेल मामले में दायर पुर्नविचार याचिका सार्वजनिक रूप से सबको उपलब्ध है, हमारे प्रतिद्वंद्वी या दुश्मनों की भी इस तक पहुंच है। यह राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने वाला है।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट इस समय राफेल सौदे के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है। याचिकाकर्ता प्रशांत भूषण ने सौदे के बारे मे रक्षा मंत्रालय की उस फ़ाइल नोटिंग को पेश किया जिसे हिंदू अख़बार ने छापा था। अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने इस पर आपत्ति जताई और कहा था कि यह चोरी किया हुआ है, जांच चल रही है और मुक़दमा किया जाएगा। अटार्नी जनरल ने रक्षा मंत्रालय के नोट को संज्ञान मे लेने का भी विरोध किया था और कहा था कि यह गोपनीय दस्तावेज है।

अर्टनी जनरल केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट बाताया था कि गोपनीय दस्तावेज लीक करने के मसले पर दो अखबारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेंगे।

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