नई दिल्ली। नरेंद्र मोदी सरकार को कालेधन के मामले में बड़ी कामयाबी मिली है। स्विट्जरलैंड सरकार ने स्विस बैंकों के भारतीय खाताधारकों की पहली सूची उसको सौंप दी है। इस सूची के जरिए देश के बाहर कालाधन रखने वाले धनकुबेरों के बारे में जानकारी मिल सकेगी। अब भारत को इस सूचना से जुड़ी अगली सूची सितंबर,2020 में मिलेगी।
सरकार को ऑटोमेटिक इन्फॉर्मेशन एक्सचेंज फ्रेमवर्क (एईओआई) के तहत पहली बार आंकड़े प्राप्त हुए हैं। फेडरल टैक्स एडमिनिस्ट्रेशन (एफटीए) ने 75 देशों के साथ खाताधारकों की जानकारी साझा की है। फिलहाल लगभग 7500 संस्थाएं एफटीए में रजिस्टर्ड हैं। ये संस्थान डेटा एकत्र करके एफटीए को सौंपते हैं।
स्विटजरलैंड ने इससे पहले इसी वर्ष 8 सितंबर को स्वचालित व्यवस्था के तहत कुछ सूचनाएं भारत को उपलब्ध कराई थीं। हालांकि इस सूची में बंद हो चुके खातों की जानकारी थी। इसी साल जून में स्विट्जरलैंड सरकार ने विदेशों बैंकों में कालाधन रखने वाले 50 भारतीय कारोबारियों के नाम उजागर किए थे। स्विस अधिकारियों ने खाताधारकों को अपना पक्ष रखने के लिए नोटिस भी भेजा था। इनमें ज्यादातर कोलकाता, मुंबई, गुजरात और बेंगलुरु के थे। पिछले एक साल में 100 से ज्यादा भारतीय स्विस बैंक खाताधारकों के नाम सामने आ चुके हैं।
भारत और स्विट्जरलैंड के बीच के इस फ्रेमवर्क के तहत 2018 के बाद स्विस बैंक अकाउंट बंद कराने वालों से जुड़ी जानकारी भी मिल जाएगी। यूरोपीय देश स्विटजरलैंड को वहां की गोपनीयता नीतियों के कारण लंबे समय से काले धन रखने के लिहाज से मुफीद स्थान माना जाता था। एक आकलन के मुताबिक इस यूरोपीय देश के बैंकों में 31 लाख लोगों के खाते जांच के घेरे में हैं।