बरेली। कहते हैं कि मारने वाले से बचाने वाले के हाथ बहुत लम्बे होते हैं। कुदरत जब किसी को अपनी नेमत से नवाजती है तो सिर्फ चमत्कार ही नाम दिया जा सकता है। बरेली के सीबीगंज में एक वाकया हुआ कि जिसने सुना बस मुंह से यही निकला …हे भगवान!
हुआ यूं कि सीबीगंज में एक मां एक प्रीमेच्योर बेटी को जन्म दिया। बच्ची ने आंख खोलने से पहले ही प्राण त्याग दिये। दूसरी ओर, एक मां ऐसी भी चर्चा में आयी… जिसने अपनी जिंदा बच्ची को ही गड्ढे में दफन कर दिया। लेकिन उसकी जिन्दगी थी… ईश्वर ने जनक बनाकर मृत बच्ची के बाप को वहां भेज दिया।
सीबीगंज की वेस्टर्न कॉलोनी निवासी हितेश कुमार सिरोही की पत्नी वैशाली महिला दारोगा हैं। प्रसव पीड़ा होने पर उन्हें बुधवार कोएक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। गुरुवार को उन्होंने सात माह की एक प्रीमेच्योर बच्ची को जन्म दिया, कुछ ही देर में उसकी मौत हो गई। हितेश शाम को उसे दफनाने लिए श्मशान पहुंचे। नवजात बच्ची अंतिम संस्कार के इसके लिए गड्ढा खोदा गया। करीब तीन फीट बाद अचानक मजदूर का फावड़ा किसी वस्तु से टकराया।
मजदूर ने हाथ रोका, मिट्टी निकाल कर देखा वह एक मटका था। मटका निकालकर देखा कि अंदर बच्ची है। वह जीवित थी। तेज-तेज सांसें चल रही थीं। देखते ही हितेश व अन्य लोग अचंभित रह गए। उन्होंने अपनी मृत बच्ची को वहीं दफनाया और मटके में मिली बच्ची को गोद में उठाकर कलेजे से लगा लिया। वह रो रही थी इसलिए दूध का इंतजाम किया गया। रुई से दूध पिलाया। तुरन्त ही डायल 100 पुलिस को बुला लिया। पुलिस कर्मी उस बच्ची को लेकर जिला अस्तपाल पहुंचे और भर्ती करा दिया। हितेश ने बताया कि बच्ची किसकी है और कौन उसे दफना कर गया है, इसकी जानकारी नहीं हो सकी है। फिलहाल, उसकी जिंदगी बच गई है।
लोगों ने उसे नाम दिया है ‘सीता’
त्रेतायुग में राजा जनक को खेत में हल चलाते वक्त मटके में सीता जी मिली थीं। अब कलयुग में जमीन में दफन मटके में सीबीगंज को एक नवजात जिंदा मिली। स्थानीय एवं अस्पताल के लोगों ने इस बच्ची को सीता नाम दिया है। इसे कौन दफनाकर गया, किसकी ह?ै यह तो नहीं पता लेकिन हितेश जरूर इस ‘सीता’ के लिए जनक बन गये। ं