लखनऊ। उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने अयोध्या में राम जन्मभूमि की विवादित भूमि से अपना दावा छोड़ने संबंधी किसी भी तरह का हलफनामा सुप्रीम कोर्ट में देने संबंधी खबरों को अफवाह बताया है। वक्फ बोर्ड के सीइओ सैयद मोहम्मद शोएब ने गुरुवार को ऐसा किए जाने से इन्कार कर दिया। सूत्रों का कहना है कि वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त मध्यस्थता पैनल को समझौते का लिखित प्रस्ताव दिया है जिसे उसने  सुप्रीम कोर्ट में पेश कर दिया है।

सुन्नी वक्फ बोर्ड के सीइओ शोएब ने कहा कि अध्यक्ष जुफर फारुकी दिल्ली में हैं। उनसे संपर्क नहीं हो पा रहा है। जहां तक सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा पेश करने की बात है तो इस तरह का कोई भी पत्र दफ्तर से जारी नहीं हुआ है।

सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की सुनवाई के आखिरी दिन बुधवार को यह खबर फैली कि सुन्नी वक्फ बोर्ड ने विवादित जमीन पर अपना दावा छोड़ दिया है। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देने की बात दिन भर चलती रही। कहा गया कि सुन्नी वक्फ बोर्ड ने दावा छोड़ने के लिए तीन शर्तें रखी हैं। हालांकि बाबरी मस्जिद कमेटी के संयोजक जफरयाब जिलानी ने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में दावा छोड़ने संबंधी किसी भी तरह का हलफनामा नहीं दिया है। यह अफवाह है। यदि हलफनामा दिया होता तो वह रजिस्ट्रार ऑफिस में आता। बुधवार शाम तक कोई भी एप्लीकेशन नहीं आई है।

हो सकता है उन्हें अक्ल आ गई होः वसीम रिजवी

सुन्नी वक्फ बोर्ड के हलफनामे की बाबत शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने कहा कि शिया बोर्ड पहले ही अपना हलफनामा देकर एक मिसाल पेश कर चुका है। अब सुन्नी वक्फ बोर्ड ने भी हलफनामा दिया है जिससे राम मंदिर निर्माण की तरफ एक बड़ा संकेत है। उन्होंने कहा कि हो सकता है कि आखिरी समय में सुन्नी वक्फ बोर्ड को अक्ल आ गई हो। यह तो तय है कि फसाद कराने से बेहतर दिलों को जोडऩा है। वसीम रिजवी ने कहा कि हलफनामे में सुन्नी वक्फ बोर्ड ने कुछ शर्तें भी रखी हैं। अब आखिरी वक्त पर शर्तों की कोई अहमियत नहीं होती है। पूरी दुनिया राम मंदिर पर फैसले का इंतजार कर रही है। अगर सुप्रीम कोर्ट हाईकोर्ट की तरह अपना फैसला देता है तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उम्मीद है कि वह इस संबंध में कानून बनाकर राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ करेंगे।

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