लखनऊ। उत्तर प्रदेश के लोकायुक्त न्यायमूर्ति संजय मिश्रा द्वारा की गई जांच में कई पूर्व मंत्री, पूर्व विधायक तथा आइएएस व अन्य अधिकारी फंस गए हैं। लोकायुक्त ने राजभवन में राज्यपाल राम नाईक से मुलाकात कर उन्हें लोकायुक्त प्रशासन का वार्षिक प्रतिवेदन-2018 सौंपा। 533 पन्नों का यह प्रतिवेदन दो खंडों में है जिसमें उक्त नेताओं और अधिकारियों के बारे में जानकारी दी गई है।
लोकायुक्त प्रशासन ने किसी भी आरोपी का नाम, दल व विभाग साझा करने से इन्कार कर दिया। सिर्फ इतना बताया कि भ्रष्टाचार के मामलों में भी कई अधिकारी दोषी पाये गए हैं। सपा सरकार के एक बहुचर्चित पूर्व मंत्री के खिलाफ लोकायुक्त प्रशासन को दूसरी शिकायत भी प्राप्त हुई।
लोकायुक्त प्रशासन के सचिव पंकज कुमार उपाध्याय ने बताया कि सबसे अधिक मामले ग्राम विकास व ग्राम पंचायत विभाग से जुड़े हैं जो कुल शिकायतों का करीब 25 प्रतिशत है। इनमें वीडीओ, बीडीओ, एडीओ समेत अन्य अधिकारी दोषी पाये गए हैं जिनके खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति की गई है।
वर्ष 2018 में लोकायुक्त प्रशासन को कुल 3915 परिवाद प्राप्त हुए जबकि 882 परिवाद पूर्व से लंबित थे। इस तरह कुल 4797 परिवादों पर कार्रवाई की गई। वर्ष 2018 में प्रारंभिक जांच के आधार पर 3169 परिवाद निस्तारित किये गए। इनमें 395 ऐसे परिवाद हैं,जिनका निस्तारण विवेचना के बाद किया गया।
लोकायुक्त न्यायमूर्ति संजय मिश्रा व उप लोकायुक्त शंभू सिंह यादव ने 22 प्रतिवेदन व छह संस्तुतियां सक्षम प्राधिकारी को भेजी हैं। इनमें कई पूर्व मंत्री, पूर्व विधायक व अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति की गई है। जो छह संस्तुतियां की गई हैं, उनमें अधिकारियों पर लगाये गए आरोपों के साक्ष्य प्रारंभिक जांच में ही मिल गए थे। इसके साथ ही छह विशेष प्रतिवेदन राज्यपाल को सौंपे गए हैं।
लोकायुक्त प्रशासन ने पद के दुरुपयोग, पद के कर्तव्यों का निर्वाहन न करने व सेवानिवृत्ति के भुगतान संबंधी मामलों में प्रभावी कार्रवाई करते हुए 650.65 लाख रुपये का भुगतान कराया। इनमें 90 प्रतिशत मामले सेवानिवृत्ति से संबंधित हैं। सबसे अधिक भुगतान चीनी मिल के सेवानिवृत्त कर्मचारियों के कराये गए। राज्यपाल को वार्षिक प्रतिवेदन सौंपे जाने के दौरान उप लोकायुक्त शंभू सिंह यादव, सचिव पंकज कुमार उपाध्याय, मुख्य विवेचना अधिकारी राकेश कुमार, संयुक्त सचिव कुंवरजी खन्ना, अपर निजी सचिव अवनीश शर्मा, अपर मुख्य सचिव राज्यपाल हेमंत राव व राज्यपाल के अपर विधि परामर्शी कामेश शुक्ल भी उपस्थित रहे।