लखनऊ। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ उत्तर प्रदेश के कई जिलों में भड़की हिंसा को लेकर चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। अब तक की पुलिस जांच में साफ हो गया है कि इस सुनियोजित हिंसा के पीछे सिमी के सहयोगी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) का हाथ था। इस संगठन में कई ऐसे लोग हैं जो पूर्व में सिमी से जुड़े रहे हैं। लखनऊ में हुई हिंसा में पकड़े गए तीन लोगों को सीधे तौर पर पीएफआई का गुर्गा बताया जा रहा है। राज्य के अन्य जिलों में भी ऐसे कई गुर्गे पुलिस के हत्थे चढ़े हैं।
पुलिस के एक बड़े अधिकारी के अनुसार लखनऊ में पकड़े गए पीएफआई के गुर्गों के नाम नदीम, वसीम और अशफाक हैं। सीएए को को लेकर हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा को लेकर प्रदेश में अब तक 164 मामले दर्ज किए गए हैं। इन मामलों में नामजद 880 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। सीसीटीवी फुटेज, ड्रोन कैमरे और मोबाइल फोन से खींचने के लबाद सोशल मीडिया में डाली गई वीडियों फुटेज और तस्वीरों के जरिये उपद्रवियों की शिनाख्त की कोशिश की जा रही है।
आईजी कानून व्यवस्था प्रवीण कुमार ने बताया कि रविवार को प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण में है। अब तक 5312 लोगों को हिरासत में लेकर निरोधात्मक कार्रवाई की गई है। पथराव, आगजनी और तोड़फोड़ की घटनाओं में 288 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं जिनमें से 61 को गोली लगी है। घटनास्थलों से 647, .315 बोर और 12 बोर के खोखे, 69 कारतूस व और अवैध तमंचे भी बरामद हुए हैं।
सोशल मीडिया पर भी निगरानी जारी है। नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में सोशल मीडिया पर किए गए आपत्तिजनक-भ्रामक पोस्ट और मैसेज पर भी कार्रवाई की गई है। ऐसे 76 मामलों में मुकदमे दर्ज किए गए हैं और 108 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया है। अब तक 6612 ट्विटर, 8577 फेसबुक व 155 यूट्यूब एवं अन्य प्रोफाइल पोस्टों पर कार्रवाई के लिए सर्विस प्रोवाइडर से संपर्क किया गया है।
डीजीपी मुख्यालय नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में हुई हिंसा के दौरान संपत्ति के नुकसान का ब्योरा जुटा रहा है। हिंसा प्रभावित कई जिलों ने करोड़ों के नुकसान की रिपोर्ट भेजी है। इसके साथ ही कुछ जिलों से और ब्योरा मांगा गया है। प्रदेश में नामजद उपद्रवियों की गिरफ्तारी के प्रयास भी और तेज करने के निर्देश दिए गए हैं।