नई दिल्ली। सन् 2019 के अंतिम दिन उत्तर प्रदेश को फिर शर्मशार होना पड़ा। स्वच्छता के मामले में उसके शहर एक बार फिर फिसड्डी साबित हुए जबकि मध्य प्रदेश के इंदौर शहर ने एक बार फिर सफलता के झंडे गाड़े हैं। इंदौर लगातार चौथी बार स्वच्छता सर्वे की सूची में शीर्ष स्थान पर आया है।
केंद्र सरकार ने मंगलवार को स्वच्छता सर्वे की पहली और दूसरी तिमाही की घोषणा की। दिल्ली एनसीआर में स्वच्छता की स्थिति पर केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बताया कि स्वच्छता में एनसीआर दिल्ली से ज्यादा अच्छा काम कर रहा है। अप्रैल से जून के बीच पहली तिमाही में भोपाल दूसरे स्थान पर रहा जबकि दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में गुजरात का राजकोट शहर दूसरे नंबर पर रहा। 10 लाख से ज्यादा आबादी वाले टॉप पांच शहरों में इंदौर के बाद राजकोट, नवी मुंबई, वडोदरा और फिर भोपाल का स्थान रहा है। पहली तिमाही में सूरत तीसरे स्थान पर था जबकि दूसरी तिमाही में नवी मुंबई ने यह स्थान हासिल किया। 10 लाख से कम आबादी वाले शहरों वाली श्रेणी में जमशेदपुर ने पहला स्थान हासिल किया है।
पुरी ने केंद्र के स्वच्छता सर्वेक्षण में दिल्ली की खराब रैंकिंग के लिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पूरी तरह जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में अन्य क्षेत्र स्वच्छता में दिल्ली से बेहतर काम कर रहे हैं।
गौरतलब है कि इसके पहले इंदौर लगातार तीन बार देश के सबसे स्वच्छ शहर का तमगा हासिल कर चुका है। यानी इस बार इंदौर का चौका लगाने का लक्ष्य है। महापौर मालिनी गौड़ ने ट्वीट कर इस पर खुशी जाहिर की। उन्होंने लिखा है, “हमारा इंदौर फिर से नंबर 1 आया है। अब मुख्य परीक्षा की घड़ी भी आने वाली है। 4 से 31 जनवरी 2020 तक स्वच्छ सर्वेक्षण 2020 चलेगा। हमें उस सर्वेक्षण में भी प्रथम आना है और स्वच्छता का चौका लगाना है।”
भारत सरकार ने 2 अक्टूबर 2014 को स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की थी। अब इसके पांच साल पूरे हो चुके हैं। इस दौरान देशभर में स्वच्छता को जनांदोलन बनाने के केंद्र सरकार के प्रयास का असर भी देश के कई इलाकों में दिखा है।