नयी दिल्ली,6 नवंबर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि आर्थिक सुधार समावेशी व व्यापक आधार वाले हों और उनका उद्देश्य आम लोगों के जीवन में सुधार लाना होना चािहये न कि केवल सुखिर्यां बटोरना।
वे यहां छठे दिल्ली आर्थिक सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि विदेश में जमा काला धन वापस लाने की सरकार की कोशिशों के चलते 10,500 करोड़ रपए के कालेधन का पता चला है।
उन्होंने कहा ‘‘17 महीने पहले जब हमने सत्ता संभाली थी उसके मुकाबले भारत अब बेहतर प्रदर्शन कर रहा है। सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर बढ़ी है तथा मुद्रास्फीति घटी है। विदेशी निवेश बढ़ा है और चालू खाते का घाटा कम हुआ है। राजस्व बढ़ा है. ब्याज दरें घटी हैं। राजकोषीय घाटा कम हुआ है और रपया में स्थिरता है। निश्चित तौर पर यह इत्तफाक से नहीं हुआ . यह सोच-समझकर शुरू की गई नीतियों का नतीजा है।’’ आर्थिक मोर्चे पर उठाए गए अनेक कदमों का ज्रिक करते हुए मोदी ने कहा कि सरकार का जोर ‘समावेशी व व्यापक आधार वाले सुधारों’ को आगे बढाने पर है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि यह (सुधार प्रक्रिया) एक मैराथन दौड़ है, इसे फर्राटा नहीं मानना चाहिये।’’
ऐसी पहलों का लक्ष्य लोगों के जीवन-स्तर में सुधार लाना होना चाहिए। इस सम्मेलन में देश और विदेश के अनेक अर्थशास्त्री भाग ले रहे हैं।
भ्रष्टाचार के मुद्दे पर प्रधानमंत्री ने कहा कि आर्थिक वृद्धि के रास्ते में आड़े आने वाले इस खतरे को कम करने के लिये सरकार ने निर्णायक पहल की है। उन्होंने कहा कि इन पहलों में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के कामकाम में सुधार, कोयला, स्पेक्ट्रम, जैसे कीमती संसाधनों के आवंटन में विशेषाधिकार को समाप्त करने, निचले स्तर के रोजगार में साक्षात्कार खत्म करना और आयकर रिटर्न की इलेक्ट्रानिक फाइलिंग और जांच की प्रक्रिया शुरू की है।
विदेश में जमा गैरकानूनी धन के बारे में मोदी ने कहा ‘करचोरी और मनी लांड्रिंग के खिलाफ हमारे अभियान के बारे में सभी को पता है। नया काला धन कानून लागू होने से पहले ही 6,500 करोड़ रुपए कालेधन का आकलन कर लिया गया। इसके अलावा नए कानेन के तहत 4,000 करोड़ रुपए के कालेधन का खुलासा हुआ। इस तरह विदेश में जमा 10,500 करोड़ रुपए के कालेधन के बारे में जानकारी मिली है और इसका आलकन किया गया है।’ मोदी ने कहा कि आयकर विभाग ने इलेक्ट्रानिक रिटर्न की सुविधा पेश की जिसके तहत फिलहाल 85 प्रतिशत निर्धारित्री आते हैं।
उन्होंने कहा ‘इससे पहले इलेक्ट्रानिक रिटर्न के बाद कागजी प्रमाणन की जरूरत होती थी जिसमें हफ्तों लगते थे। इस साल हमने आधार के जरिए ई-प्रमाणन पेश किया है और 40 लाख करदाताओं ने इस सुविधा का उपयोग किया।’ प्रधानमंत्री ने कहा कि 91 प्रतिशत इलेक्ट्रानिक रिटर्न का प्रसंस्करण किया गया है और 90 प्रतिशत रिफंड 90 दिन के भीतर जारी किए गए।
उन्होंने कहा ‘मैंने सूचना प्रौद्योगिकी विभाग से कहा कि वे एक प्रणाली बनाएं जिसमें न सिर्फ रिटर्न बल्कि जांच भी कार्यालय जाए बगैर हो जाए। आनलाइन या ईमेल पर सवाल उठाए जा सकते हैं और इनका जवाब दिया जा सकता है। किसके पास कहां और कितने लंबे समय से बकाया है इसका इलेक्ट्रानिक रिकार्ड होना चाहिए। इसकी तरह की जांच की शुरआत बड़े शहरों में हो रही है।’ मोदी ने कहा कि सरकार प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुये नवोन्मेषी तरीकों से बेकार का खर्च कम किया है। वित्तीय सुधारों के बारे में मोदी ने कहा कि पिछले 17 महीनों में सरकार ने 19 करोड़ लोगों को बैंकिंग प्रणाली से जोड़ा है।
उन्होंने कहा ‘यह विश्व के ज्यादातर देशों की आबादी से भी अधिक है। अब ये करोड़ों लोग हमारी बैंकिंग प्रणाली का हिस्सा हैं और ब्याज दर जैसे शब्द उनके लिए भी मायने रखते हैं।’ प्रधानमंत्री ने कहा कि इन लोगों को बैंकिंग प्रणाली में लाया गया है और उन्होंने यह दिखाया है कि समाजिक ताने बाने के इस निचले स्तर में भी बड़ी ताकत है। उन्होंने कहा कि जनधन योजना के तहत खोले गए खातों में आज करीब 26,000 करोड़ रुपए या करीब चार अरब डालर जमा हैं।
मोदी ने कहा ‘स्पष्ट रूप से हमारा वित्तीय समावेश सुधार परिवर्तनकारी रहा है। फिर भी यह शांत क्रांति किसी को शायद ही दिख रही है।’ उन्होंने कहा कि सरकार ने डेबिट और क्रेडिट कार्ड के दायरे में उल्लेखनीय प्रतिस्पर्धा पैदा की है। ‘इस क्षेत्र पर कुछ अंतरराष्ट्रीय कंपनियों का दबदबा रहा है। आज भारत में 36 प्रतिशत डेबिट कार्ड रूपे कार्ड हैं।’ नीति आयोग बनाने के संबंध में मोदी ने कहा ‘‘नीति आयोग के बारे में मेरा विचार योजना आयोग से बेहद अलग है। इसे ऐसे विचारों और पहलों के संबंध में सहयोगात्मक मंच बनना है जिनमें राज्य पूर्ण भागीदार हैं और इसमें केंद्र तथा राज्यों का सहयोगात्मक संघवाद की भावना के साथ मेल होता है।’