नई दिल्ली। केंद्र सरकार पर श्रम विरोधी नीतियों का आरोप लगाते हुए केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने 8 जनवरी को देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है। उनका कहना है कि इस हड़ताल में छात्रों के 60 संगठन और कुछ विश्वविद्यालयों के पदाधिकारी भी शामिल होंगे। साथ ही दावा किया कि हड़ताल में करीब 25 करोड़ लोग शामिल होंगे।
ट्रेड यूनियनों ने कहा कि अब तक श्रमिकों को उनकी किसी भी मांग पर श्रम मंत्रालय आश्वासन देने में विफल रहा है। श्रम मंत्रालय ने दो जनवरी 2020 को ट्रेड यूनियनों की बैठक बुलाई थी। देखा जाए तो सरकार का रवैया श्रमिकों के प्रति रवैया अवमानना का रहा है। हड़ताल का आह्वान करने वाले संगठनों में एटक, सीटू, इंटक, एचएमएस, एआईयूटीयूसी, एसईडब्लूए, टीयूसीसी, एआईसीसीटीयू, यूटीयूसी, एलपीएफ आदि शामिल हैं। बैंकों के कर्मचारियों एवं अधिकारियों के इस हड़ताल में शामिल होने से बैंकिंग सेवाओं के बाधित होने की आशंका है। बैंक यूनियनों ने कर्मचारियों से चाबी एक्सेप्ट नहीं करने का आग्रह किया है। इससे हो सकता है कि कई शाखाएं बंद रहें।
कई केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के पदाधिकारियों ने कहा है कि वे आठ जनवरी को आयोजित हड़ताल में कम से कम 25 करोड़ लोगों की उम्मीद कर रहे हैं। हड़ताल के जरिए सरकार से श्रमिक विरोधी, राष्ट्रविरोधी और जनविरोधी नीतियों को वापस लेने की मांग करेंगे।
श्रमिक संगठनों ने इस बात पर नाराजगी जताई कि जुलाई 2015 से एक भी भारतीय श्रम सम्मेलन का आयोजन नहीं हुआ। इसके अलावा यूनियनों ने श्रम कानूनों की संहिता बनाने और सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण का भी विरोध किया है।
बैंकों की इन सेवाओं पर पड़ सकता है असर
बैंककर्मियों की इस प्रस्तावित हड़ताल से सबसे ज्यादा असर एटीएम सेवाओं पर पड़ सकता है, इसलिए आपके लिए बेहतर होगा कि आप आजकल में जरूरी कैश निकालकर अपने पास रख लें। बैंकों की हड़ताल से चेक क्लियरेंस में भी देरी हो सकती है। दूसरी ओर इस सप्ताह दूसरे शनिवार के कारण भी बैंक बंद रहेंगे। ऐसे में लोगों को चेक क्लियर होने के लिए ज्यादा इंतजार करना पड़ सकता है। हालांकि, NEFT को 24×7 किये जाने के बाद रुपयों के ऑनलाइन ट्रांसफर पर कोई खास असर पड़ने की उम्मीद नहीं है।