पेंसिल्वेनिया (अमेरिका)। चिकित्सा वैज्ञानिकों ने खतरनाक निपाह वायरस से बचाने के लिए टीका विकसित कर लिया है। जेफरसन वैक्सीन सेंटर, फिलाडेल्फिया के शोधकर्ताओं ने सोमवार को इसकी घोषणा की। यह टीका रेबीज के वायरस के खिलाफ भी कारगर होगा। शोधकर्ताओं की इस टीम में भारतीय मूल के रोहन केशवरा और दृश्या कुरूप भी शामिल थे।

जेफरसन वैक्सीन सेंटर के माइक्रो बायोलॉजी एंड इम्यूनोलॉजी विभाग के प्रमुख शोधकर्ता मैटियस जे. श्नेल ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा, “हमने एनआईपीआरएबी नामक टीका विकसित किया है। यह निपाह वायरस से प्रतिरोध विकसित करने में सक्षम है। हमने टीका विकसित करने के लिए परिष्कृत रेबीज वायरस वेक्टर को लिया और उसे निपाह वायरस के जीन से मेल कराकार वायरल तत्व बनाया। नए तत्व की सतह पर दोनों प्रकार के वायरस के गुण थे।”

श्नेल ने कहा, “रेबीज वायरस वेक्टर से तैयार टीकों का परीक्षण किया जा चुका है। इनसे मनुष्यों की तंत्रिका तंत्र में बीमारी पैदा करने की आशंका न के बराबर है। चूंकि दोनों विषाणु तत्व प्रतिरोधक क्षमता के संपर्क में आते हैं, ऐसे में वायरल तत्व विशेष प्रकार से प्रतिक्रिया करता है और दोनों वायरस से बचाव करता है।“ 

चूहों पर सफल परीक्षण

वैज्ञानिकों ने जीवित वायरस से तैयार टीके का चूहों पर सफल परीक्षण किया है। एक ही टीके से इन चूहों में निपाह और रेबीज वायरस से लड़ने के लिए एंटीबॉडिज तैयार किए गए। ये एंटीबॉडिज निपाह परिवार के वायरस हेंड्रा के खिलाफ भी कारगर है। रासायनिक फार्मूले से निष्क्रिय टीके को भी विकसित किया जा चुका है जो शरीर में प्रतिरोपित वायरस के फलने-फूलने की आशंका को पूरी तरह से खत्म कर देगा। 

शोधकर्ता श्नेल ने बताया कि अब इसका परीक्षण विभिन्न प्रजातियों के जानवरों पर किया जाएगा ताकि कारगर  खुराक का पता लगाया जा सके। इसी तकनीक से अन्य वायरस जैसे इबोला का टीका भी विकसित करने का प्रयास किया जा रहा। 

क्या है निपाह वायरस 

निपाह वायरस (एनआईवी) हेनीपा वायरस का एक प्रकार है जो प्राकृतिक रूप से चमगादड़ में पाया जा जाता है। यह जानवरों, संक्रमित भोजन और मनुष्यों के जरिये फैसला है। संक्रमण के पांच से 14 दिन के बाद लक्षण सामने आते हैं और यह दो हफ्ते तक रह सकता है। निपाह आरएनए आधारित वायरस है जिसकी वजह से सांस लेने में तकलीफ होती है। खांसी, कफ ,सिरदर्द, जी मिचलाना, भ्रमित होना, बुखार इसके लक्षण हैं। तुरंत इलाज नहीं मिलने पर प्रभावित व्यक्ति कोमा में भी जा सकता है। 

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